DDU के 43वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल (Video credit: ETV Bharat) गोरखपुर : यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल शुक्रवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के 43वें दीक्षांत समारोह में पहुंचीं. इस दौरान उन्होंने अपने संदेश के माध्यम से कार्यक्रम में उपस्थित छात्र-छात्राओं और शिक्षकों का मार्गदर्शन किया. उन्होंने कहा कि भारत पिछले 90 वर्षों से किसी भारतीय के नोबेल पुरस्कार पाने का इंतजार कर रहा है. उन्होंने इसका उल्लेख करते हुए कहा कि वर्ष 1930 में डॉ सी.वी रमन जो भारत में पैदा हुए, भारत में शोध किये और अपने शोध के आधार पर नोबेल पुरस्कार पाने में सफल हुए.
इस दौरान उन्होंने कहा कि हालांकि कई अन्य भारतीयों को भी नोबेल पुरस्कार मिला है, लेकिन उन्होंने भारत में शिक्षा ली और फिर अमेरिका और अन्य देशों में जाकर शोध किए, पढ़ाई की, जिसके आधार पर उन्होंने नोबेल पुरस्कार हासिल किया, इसलिए भारतीय विश्वविद्यालयों के ऊपर यह बड़ी जिम्मेदारी है कि शिक्षा व्यवस्था में बड़े परिवर्तन हों, जिससे देश ऐसे उन योग्य छात्रों को भी तैयार करने में सफल हो जो आगामी 25 वर्षों में भारत को कई नोबेल पुरस्कार दिला सकें. इस दौरान उन्होंने कहा कि किसी की सफलता को देखकर प्रेरणा लेनी चाहिए, लेकिन जो खुद में प्राप्त हो रहा हो उससे इनकार भी नहीं करना चाहिए. हो सकता है कि आप जो प्राप्त कर रहे हैं, उसमें पूरी लगन और निष्ठा लगाएं तो बेहतर परिणाम देते हुए बहुत आगे निकल जाएं. देश और समाज के रोल मॉडल बनें.
इस दौरान उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन लाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार दृढ़ संकल्पित है. कोरोना काल में नई शिक्षा नीति 2020 को लाकर अपनी प्रतिबद्धता को जाहिर किया है. इसके अलावा 1.48 लाख करोड़ शिक्षा का बजट निर्धारित कर शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम गढ़ने और शोध को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित भी किया है. अब यह जिम्मेदारी विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षकों के ऊपर जाती है जो खुद तो रोजगार पाकर एक सफल जीवन जी रहे हैं, लेकिन वह ऐसी शिक्षा व्यवस्था से छात्रों को जोड़ें जिससे वह भविष्य में रोजगार पाने के साथ-साथ रोजगार देने लायक भी बनें.
राज्यपाल ने कहा कि इसी क्रम में यूजीसी ने भी 19025 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है, जिससे विश्वविद्यालय अपनी तमाम सुविधाओं को विकसित करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में काफी आगे निकल सकते हैं. जो विश्वविद्यालय अच्छा कार्य करेगा निश्चित रूप से उसे एनआईआरएफ रैंकिंग में अच्छा फायदा हासिल होगा. उसके ग्रांट में बढ़ोतरी होगी और वह सिर्फ देश ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपने आपको स्थापित कर सकेगा. इस दौरान राज्यपाल ने परीक्षा प्रणाली और परिणाम के आने में हो रही देरी पर विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों पर भी तंज कसा. खास तौर पर उन्होंने महाविद्यालय को सचेत किया कि अगर समय से वह परीक्षा परिणाम विश्वविद्यालय को उपलब्ध नहीं कराते हैं तो विश्वविद्यालय ऐसे महाविद्यालयों की परीक्षा परिणाम को रोक दे और उनकी खबर भी मीडिया में प्रसारित कर उनकी अकुशलता को बताये. इस दौरान उन्होंने गोल्ड मेडल पाये विद्यार्थियों का हौसला बढ़ाया और कहा कि आज के दौर में शिक्षा प्राप्त करने के लिए तमाम तरह के साधनों की उपलब्धता है, जबकि जिस दौर से वह आती हैं कोई भी साधन उपलब्ध नहीं था. ऐसे में आज के विद्यार्थी साधनों का उपयोग करते हुए खुद को भी मजबूत कर सकते हैं. देश को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से खड़ा कर सकते हैं. बस उन्हे ईमानदारी से प्रयास करने की जरूरत है.
दीक्षांत समारोह को प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, राज्यमंत्री रजनी तिवारी और मुख्य अतिथि राधिका गुप्ता ने भी संबोधित किया. वह एक म्युचुअल फंड संस्था की सीईओ हैं. डीडीयू के 43वें दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति के हाथों 61 मेधावियों को स्वर्ण पदक मिला, जिसमें 49 छात्राएं शामिल रहीं. इस दौरान 166 शोधकर्ताओं को पीएचडी की उपाधि मिली. इसके साथ ही सत्र 2023-24 में 87,359 विद्यार्थियों को स्नातक एवं स्नातकोत्तर की उपाधि प्रदान की गई, इसमें 57,723 छात्राएं शामिल रहे. इसमें विश्वविद्यालय परिसर के 6793 और महाविद्यालयों के 80,566 विद्यार्थी रहे हैं.
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