गोरखपुर : बड़े महानगर का रूप लेते गोरखपुर में शिक्षा के बड़े केंद्रों की भी संख्या लगातार बढ़ रही है. मौजूदा समय में यहां कुल चार विश्वविद्यालय कार्य कर रहे हैं. इसमें सब अलग-अलग विधा के विश्वविद्यालय हैं. टेक्निकल यूनिवर्सिटी के रूप में मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MMMUT) तो दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के बड़े केंद्र के रूप में जाना जाता है. यह स्वतंत्र भारत के बाद उत्तर प्रदेश में स्थापित होने वाला पहला विश्वविद्यालय है.
करीब 3 वर्ष पहले आए थे पूर्व राष्ट्रपति : इसके अलावा गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय और गुरु गोरक्षनाथ विश्वविद्यालय चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी शैक्षिक और शोध गतिविधियों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. शहर की सीमा में बहुत जल्द वानिकी विश्वविद्यालय भी धरातल पर उतरता दिखाई देगा तो निजी क्षेत्र में एक महिला विश्वविद्यालय की स्थापना की प्रक्रिया पर भी काम चल रहा है. पशु चिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना और निर्माण कार्य प्रगति पर है. इस शहर से मात्र 40 किलोमीटर की दूरी पर कुशीनगर में कृषि विश्वविद्यालय की भी स्थापना हो चुकी है. बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करीब 3 वर्ष पहले गोरखपुर दौरे पर आए थे. इस दौरान उन्होंने गोरखपुर को नॉलेज सिटी के रूप में विकसित किए जाने की बात कही थी जो अब मूर्त रूप लेती दिखाई दे रही है.
'अभिभावकों को मिलेगी मदद' : गोरखपुर विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ मनीष पांडेय कहते हैं कि गोरखपुर सीमा विस्तार के साथ, बहुत तेजी के साथ महानगरी स्वरूप को धारण करता जा रहा है. यहां पर आबादी बढ़ रही है तो शिक्षा की भी आवश्यकता बढ़ेगी. आज के दौर में हर अभिभावक अपने बच्चों पर पढ़ाई के क्षेत्र में अच्छा बजट खर्च करना चाहता है. अच्छी शिक्षा दिलाना चाहता है. ऐसे में शहर में विश्वविद्यालय की बढ़ती संख्या छात्रों को जहां उनके जरूरत के विषयों के अध्ययन की व्यवस्था को उपलब्ध कराएगा, वहीं अभिभावकों को भी इससे बड़ी मदद मिलेगी.
विद्यार्थियों को मिलेगी शिक्षा : शिक्षा शास्त्र के सहायक प्रोफेसर डॉ दुर्गेश पाल कहते हैं कि विश्वविद्यालय की स्थापना से प्रतिभाओं का आपस में मिलन और तालमेल बनेगा. यहां से शिक्षा लेकर दूसरे शहर और प्रदेश को जाने वाले विद्यार्थी यहां की व्यापकता और सकारात्मक को व्याख्यायित करने का काम करेंगे. यहां के छात्रों को भी बेहतर अवसर उपलब्ध होगा. उन्होंने कहा कि जो भी विश्वविद्यालय यहां स्थापित हैं वह विभिन्न कैटेगरी के हैं. कहीं से तकनीक तो कहीं से उच्च शिक्षा और मेडिकल की शिक्षा मिलेगी. ऐसे में रोजगार का भी यह बड़ा केंद्र बनेगा. आवासीय जरूरतें बढ़ेंगी. विभिन्न कंपनियों के लिए भी यह व्यवसाय और प्रबंधन का सपना लेकर आएगा. ऐसे में कहा जा सकता है कि गोरखपुर शिक्षा के समग्र केंद्र के रूप में मजबूती से आगे बढ़ रहा है.
सीएम योगी ने किया था निरीक्षण : चिकित्सा क्षेत्र को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक और प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय की ओपीडी का क्रेज बढ़ रहा है. लोग आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी जैसी हानिरहित चिकित्सा पद्धति के विशेषज्ञों के परामर्श और यहां मिल रही मुफ्त दवाओं से लाभान्वित हो रहे हैं. विश्वविद्यालय का निर्माण अंतिम चरण में है. सीएम योगी और प्रमुख सचिव आयुष एवं स्वास्थ्य रंजन कुमार ने अभी हाल ही में इसका निरीक्षण किया है. इसके पूर्ण होते ही यहां आईपीडी की सुविधा मिलने लगेगी. भटहट के पिपरी में 52 एकड़ क्षेत्रफल में निर्माणाधीन महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास 28 अगस्त 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था.
बता दें कि आयुष विश्वविद्यालय में ओपीडी का शुभारंभ 15 फरवरी 2023 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था. तब से प्रतिदिन यहां आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी की ओपीडी में बड़ी संख्या में मरीज परामर्श लेते हैं. काय चिकित्सा, शल्य चिकित्सा के विशेषज्ञों के परामर्श के साथ ही मरीजों को पंचकर्म चिकित्सा की भी महत्वपूर्ण सुविधा प्राप्त हो रही है. ओपीडी शुभारंभ के बाद अब तक करीब एक लाख आयुष चिकित्सकों से परामर्श लाभ ले चुके हैं.
आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एके सिंह बताते हैं कि आयुष विश्वविद्यालय में आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी विधाओं की पर्याप्त गुणवत्तापूर्ण औषधियां उपलब्ध हैं, जिनका भंडारण व्यवस्थित तरीके से किया जाता है. सभी रोगियों को चिकित्सकों के परामर्श के अनुरूप ये दवाएं मुफ्त उपलब्ध कराई जाती हैं. सत्र 2024-25 में प्रदेश के 97 आयुष शिक्षण (आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी) के कॉलेज/संस्थान इस विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं.
यूपी की पहली फॉरेस्ट यूनिवर्सिटी खोलने की कवायद तेज : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप गोरखपुर वन प्रभाग के हिस्से में एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज होने वाली है. उत्तर भारत का पहला और पूरे देश का दूसरा वानिकी विश्वविद्यालय (फॉरेस्ट यूनिवर्सिटी) यहां खुलेगा. विश्वविद्यालय के लिये 50 हेक्टेयर भूमि भी चिह्नित कर ली गई है. प्रस्ताव को शासन से स्वीकृति मिल चुकी है. कुल सात विषयों में यहां पढ़ाई और रिसर्च होगी. इसके लिये वन अनुसंधान संस्थान (FRI) उत्तराखंड और तेलंगाना से सलाह लेकर पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है.
डीएफओ विकास यादव ने बताया कि इसके बनने के साथ निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिये शासन से धन और एजेंसी का आवंटन होगा. जिससे एक बेहतरीन वानिकी विश्वविद्यालय बनकर तैयार हो, जहां अध्ययन और शोध कार्य को आगे बढ़ाया जाए. वन विभाग से जुड़े अधिकारियों को भी यहां ट्रेनिंग मिल सके. कुछ सर्टिफिकेट कोर्स भी मिले, जिससे इस क्षेत्र में रोजगार के भी अवसर उपलब्ध हों. यह भारत- नेपाल सड़क मार्ग के कैंपियरगंज क्षेत्र में स्थापित होगा. इसके लिए टेक्निकल एक्सपर्ट की कमेटी बनाई गई है. डीएफओ बताते हैं कि फॉरेस्ट्र यूनिवर्सिटी में वानिकी के अलावा कृषि वानिकी और सामाजिक वानिकी के भी डिग्री और डिप्लोमा कोर्स संचालित कराने की योजना है, जिससे बड़ी संख्या में युवाओं के सामने नौकरी और रोजगार के व्यापक अवसर उपलब्ध हो सकें.
उन्होंने बताया कि गोरखपुर वन प्रभाग में स्थापित होने वाला वानिकी विश्वविद्यालय न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि समूचे उत्तर भारत का अपने तरह का पहला विश्वविद्यालय होगा. यही नहीं, यह देश का दूसरा और पूरी दुनिया का चौथा वानिकी विश्वविद्यालय होगा. देश की पहली और दुनिया की तीसरी फॉरेस्ट्र यूनिवर्सिटी तेलंगाना में है, जहां वानिकी महाविद्यालय एवं अनुसंधान संस्थान को अपग्रेड कर विश्वविद्यालय बनाया गया है. देहरादून में 1906 में स्थापित फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट डीम्ड यूनिवर्सिटी के रूप में है.
गोरखपुर में शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक बदलाव महज चंद वर्षों में देखने को मिल रहे हैं. गोरखपुर देश के उन चुनिंदा शहरों में शामिल हो चुका है जहां चार विश्वविद्यालय हैं. पांचवां और छठवें विश्वविद्यालय के निर्माण के लिये जमीन तैयार हो चुकी है. इस शहर की शिक्षा क्षेत्र की उपलब्धियों की फेहरिस्त में अब सैनिक स्कूल भी जुड़ गया है. अगले साल यहां स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट की सौगात भी मिल जाएगी. प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, व्यावसायिक, प्रबंधकीय, हॉस्पिटैलिटी समेत किसी भी विशिष्ट प्रकार की शिक्षा के लिए गोरखपुर पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही सीमावर्ती बिहार और नेपाल के लिए उम्मीदों का प्रमुख केंद्र बन चुका है. गोरखपुर के गीडा में स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट का निर्माण कार्य जारी है. सितंबर 2025 में यह बनकर तैयार हो जाएगा और पूर्वी उत्तर प्रदेश के युवाओं को रोजगारपरक शिक्षा का एक और बेहतरीन विकल्प मिल जाएगा.