लखनऊ: कैंसर के इलाज को लेकर आम व्यक्तियों में कई तरह की धारणा रहती है. बीमारी का पता चलने पर मरीज व उसके परिवारीजन काबिल डॉक्टर व अच्छी मशीनों की तलाश में जुट जाते हैं. कौन सी दवा बेहतर है? जांच की तकनीक कहां ज्यादा एडवांस है? इन सभी बातों का पता लगाने में मरीज व उनके तीमारदार कीमती समय गुजार देते हैं. समय पर इलाज शुरू न होने पर बीमारी गंभीर हो जाती है. यह जानकारी पीजीआई रेडियोथेरेपी विभाग के अध्यक्ष व डीन डॉ. शालीन कुमार ने दी. वह गुरुवार को केजीएमयू के कलाम सेंटर में कैंसर रोगों पर जानकारी साझा कर रहे थे.
जिला स्तर पर कैंसर स्क्रीनिंग बढ़ाने की जरूरत: एसोसिएशन ऑफ रेडिएशन आंकोलॉजी ऑफ इंडिया व यूरोपियन सोसाइटी फॉर रेडियोथेरेपी एंड आंकोलॉजी की तरफ से कार्यशाला हुई. पीजीआई डीन डॉ. शालीन कुमार ने कहा कि ओपीडी में 20 से 30 प्रतिशत मरीज डॉक्टर, दवा, जांच व तकनीक के बारे में पूछते हैं. हायर सेंटर में जाने की भी राय लेते हैं. जबकि बड़े सरकारी संस्थानों में सभी प्रकार के कैंसर का आधुनिक तकनीक से इलाज मुहैया कराया जा रहा है. बीमारी व उसकी गंभीरता के लिहाज से प्रोटोकॉल के तहत मरीजों को दवा दी जाती हैं. उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर कैंसर स्क्रीनिंग बढ़ाने की जरूरत है. साथ ही उन्हें इलाज के लिए गाइड किया जाना चाहिए. ताकि मरीज बिना वक्त गंवाए इलाज करा सकें.
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ट्यूमर पर सटीक वार मुमकिन : केजीएमयू रेडियोथेरेपी विभाग के डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि महिलाओं में सर्वाइकल और यूट्रस की दीवारों का कैंसर तेजी से पनप रहा है. समय पर बीमारी की पहचान और इलाज से बीमारी पर काबू पाया जा सकता है. इसमें महिलाओं का ऑपरेशन, कीमोथेरेपी और सर्जरी से इलाज किया जाता है. उन्होंने बताया कि रेडियोथेरेपी की नई मशीनों से ज्यादा बेहतर तरीके से ट्यूमर पर वार करना संभव हो गया है. खास तौर पर ऐसे ट्यूमर जो सांस के साथ ऊपर, नीचे या दाएं-बाएं चले जाते हैं.
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