खूंटीः झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के बाद खूंटी के जिला शिक्षा अधीक्षक ने एक औपबंधिक मास्टर वरीयता सूची जारी की. ये मामला 700 शिक्षकों की वरीयता के अनुसार प्रमोशन देने का है. सूची जारी होते ही शिक्षकों ने विरोध शुरू कर दिया है.
शिक्षकों का आरोप है कि डीएसई ने मनमाने तरीके से कागजों में छेड़छाड़ कर शिक्षकों की वरीयता में गड़बड़ी की है. साथ ही आरोप लगाया है कि शिक्षकों की सेवा पुस्तिका को जांचे बगैर सूची प्रकाशित की गई है और सूची बनाने में न्यायालय के आदेश को भी नजरअंदाज किया गया है.
इसे लेकर जिला के सभी सरकारी शिक्षकों ने जिला शिक्षा अधीक्षक के कार्यालय पहुंचकर रोष प्रकट किया. उन्होंने कहा कि जिले में प्रधानाध्यापकों का पद वर्षों से रिक्त है. समय पर प्रमोशन नहीं मिल रहा है और शिक्षक सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं. शिक्षकों ने इसे विभागीय लापरवाही बताया है. शिक्षकों ने कहा कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा. साथ ही न्याय के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा.
खूंटी जिला अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ और विभिन्न शिक्षक संगठनों ने प्रोन्नति के लिए मास्टर वरीयता सूची पर आपत्ति जताते हुए इसे खारिज करने की मांग की है. शिक्षकों ने कहा कि सूची बनाने में पूर्व से दागी और विवादास्पद किरानी की अहम भूमिका है. समय रहते इसे बदला जाए और वरीयता के अनुसार प्रमोशन सूची बनायी जाए ताकि शिक्षकों को उसका लाभ मिल सके.
शिक्षकों ने आरोप लगाया कि भयादोहन करने की नीयत से इस तरह का सूची जारी की गई है. शिक्षकों ने कहा कि कार्यालय में काम करने वाले लिपिकों और पदाधिकारी की कार्यशैली से ऐसी नौबत बनी है. यह सरासर भ्रष्टाचार का मामला है.