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प्रेमी जोड़ों सहित लोगों के जीवन के खतरे की सुरक्षा के लिए पुलिस शिकायत प्राधिकरण बनाए सरकार-हाईकोर्ट - Rajasthan High Court

एक प्रेमी जोड़े को पुलिस सुरक्षा देने से जुड़ी याचिका की सुनवाई के दौरान राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि अंतरजातीय विवाह करने वाले प्रेमी जोड़ों सहित जिन लोगों के जीवन व स्वतंत्रता को खतरा हो, उनकी सुरक्षा के लिए राज्य सरकार को प्रभावी मैकेनिज्म विकसित करे.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 3, 2024, 8:47 PM IST

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने अंतरजातीय विवाह करने वाले प्रेमी जोड़ों सहित जिन लोगों के जीवन व स्वतंत्रता को खतरा हो उनकी सुरक्षा के लिए राज्य सरकार को प्रभावी मैकेनिज्म विकसित करने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश सिंह के मामले में दिए निर्देश की पालना में इस संबंध में राज्य एवं जिला स्तर पर पुलिस शिकायत प्राधिकरण बनाए. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश एक प्रेमी जोड़े को पुलिस सुरक्षा देने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट में रोजाना करीब एक दर्जन से अधिक ऐसे मामले आते हैं, जिनमें पुलिस सुरक्षा की गुहार की जाती है. ऐसे में राज्य सरकार जीवन की सुरक्षा चाहने वाले पीड़ितों के लिए ऑनलाइन हैल्पलाइन नंबर, व्हाट्सअप या ईमेल की सुविधा मुहैया कराए और उसका प्रभावी क्रियान्वयन भी किया जाए. अदालत ने फैसले में कहा है कि पीड़ित पक्ष नोडल ऑफिसर के समक्ष ऑनलाइन या ऑफलाइन तरीके से शिकायत दर्ज कराएगा. यदि नोडल अधिकारी का क्षेत्राधिकार नहीं है, तो भी वह शिकायत लेने से मना नहीं कर सकता और वह उसे तीन दिन में संबंधित नोडल अधिकारी के पास भेजेगा.

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नोडल अधिकारी पीड़ितों की जरूरत को देखते हुए उसे अस्थाई तौर पर सुरक्षा मुहैया कराएगा. इसके अलावा यदि पीड़ित पक्ष नोडल अधिकारी के निर्णय से संतुष्ट नहीं है, तो वह इसकी अपील एसपी के समक्ष कर सकता है. ऐसी शिकायत आने पर पुलिस अधीक्षक को तीन दिन में इसका निस्तारण करना होगा. यदि वह एसपी के निर्णय या उसकी कार्यशीलता से संतुष्ट नहीं है, तो फिर पुलिस शिकायत प्राधिकरण में शिकायत दर्ज करवा सकेगा.

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वहीं यदि प्राधिकरण शिकायतकर्ता की शिकायत को सही पाता है, तो ऐसे में नोडल अधिकारी व एसपी के खिलाफ आपराधिक व दीवानी मुकदमा चलाने की सिफारिश कर सकता है. दूसरी ओर पीड़ित पक्ष के प्राधिकरण के फैसले से संतुष्ट नहीं होने पर वह अंत में हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर कर सकेगा. इसके साथ ही अदालत ने आदेश की पालना सुनिश्चित करने के लिए फैसले की कॉपी मुख्य सचिव को भेजकर पालना रिपोर्ट तलब की है.

अदालत ने कहा कि अक्सर पीड़ित पक्ष की ओर से पुलिस प्रशासन से सुरक्षा मांगने के बजाए सीधे ही हाईकोर्ट में याचिका पेश कर दी जाती है. ऐसे में जरूरी है कि इस संबंध में पुलिस प्रशासन के पास शिकायत निस्तारण का उचित मैकेनिज्म होना चाहिए. याचिका में कहा गया था कि दोनों याचिकाकर्ता वयस्क हैं और गत एक मार्च को सहमति से विवाह कर चुके हैं. उन्हें महिला याचिकाकर्ता पक्ष के परिजनों की ओर से धमकियां दी जा रही हैं. ऐसे में उन्हें पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई जाए.

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