गोरखपुर:अगर कोई व्यक्ति नदी, तालाब, पोखरे में डूब रहा है तो उसकी जान बचाई जा सकती है. इसके लिए एक वाटर ड्रोन का निर्माण किया गया है. गोरखपुर के इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट गीडा के, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग बीटेक प्रथम वर्ष के पांच छात्र सिद्धांत सिंह कौशिक, उज्जवल कुमार श्रीवास्तव, ख़ुशी, अंजलि कुमारी और ज्ञानेश मिश्रा नें. कॉलेज के इन्नोवेशन सेल की टीम के निर्देशन में इन्होंने ऐसा वाटर ड्रोन तैयार किया, है जो पानी में डूबने वाले लोंगो की जान बचा सकता हैं.
वॉटर ड्रोन बचायेगा डूब रहे लोगों की जान, ITM इंजीनियरिंग के छात्रों का कमाल - Gorakhpur Water drone - GORAKHPUR WATER DRONE
गहरे पानी में डूबकर कई लोगों की मौत हो जाती है. कभी कभार तो उन्हें बचाने वाले भी अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठते है. इस समस्या को गोरखपुर के ITM इंजीनियरिंग के छात्रों ने सुलझाने का काम कर दिखाया है.छात्रों ने वॉटर ड्रोन तैयार किया है, जो लोगों को डूबने से बचाने का काम करेंगा.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : May 4, 2024, 1:27 PM IST
छात्रा खुशी और अंजलि नें बताया, कि देश भर में गर्मी के दिनों में बड़ी नदी और तालाबों में डूबने सें हजारों लोंगो की जान चली जाती है. जिसमें समय पर बचाव का प्रयास नहीं हो पाना मुख्य वजह बनी है. इन्हीं समस्याओं को देखते हुए हम लोंगो नें इस वाटर ड्रोन को तैयार किया है. इसके संबंध में सिद्धांत और उज्जवल नें बताया, कि अगर कोई पानी में डूब रहा हों, डूबने वाला नदी के किनारे हो, या बीच नदी में हो, तो आपको बस हमारे वाटर ड्रोन को रिमोट की सहायता सें डूब रहे व्यक्ति तक पहुंचाना है. ये काम आप 10 सें 20 सैकेंड के अंदर कर सकतें है.
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छात्र सिद्धांत सिंह कौशिक ने बताया, कि हमने अपने वाटर गार्ड ड्रोन के पीछे सेफ्टी टीयू एयर रिंग लगाया है. जिसे डूबने वाला व्यक्ति आसानी सें पकड़ कर डूबने सें बच सकता है. छात्र ज्ञानेश मिश्रा नें बताया कि इस वाटर ड्रोन में हमने एक वाटरप्रूफ सेफ्टी हेल्प बटन लॉकेट भी लगाया है, जिसे नदी में नहाने वाले अपने गले में पहन सकतें है और जरुरत पड़ने पर इस बटन को दबाकर नदी के किनारे वाटर ड्रोन या बचाव दल को डूबने की परिस्थिति की सूचना दें सकतें हैं. सिद्धांत नें बताया, कि हमारे वाटर गार्ड ड्रोन की स्पीड यानी रफ्तार अभी करीब 40 सें 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार है. इसके माध्यम सें डूबने वाले व्यक्ति तक समय रहते वाटर ट्यूब पहुंचाकर उसकी जान बचाई जा सकती है. वाटर ड्रोन को बनाने में दस सें पंद्रह हजार रूपये का खर्च आया है. इसे बनाने में 15 दिन का समय लगा है. इसे बनाने में 7, वोल्ट बैटरी, प्लास्टिक नाव, थ्रीड़ी प्रिंटेड, रिमोट कंट्रोल अलार्म, रेडियो ट्रांसमीटर रिसीवर इत्यादि उपकरणों का प्रयोग किया गया हैं.
संस्थान के निदेशक डॉ. एन के सिंह नें वाटर गार्ड ड्रोन बनाने वाले छात्र -छात्राओं के परिश्रम और नवाचार को देखते हुए कहा, कि समाज की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इनोवेशन सेल से जुड़कर छात्र जो भी शोध कार्य कर रहे हैं, वह दूरगामी परिणाम देने वाले हैं. छात्रों को जरूरी संसाधन मुहैया में कोई कोताही नहीं करता. इस अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष नीरज मातनहेलिया, सचिव श्याम विहारी अग्रवाल, कोषाध्यक्ष निकुंज मातनहेलिया, संयुक्त सचिव अनुज अग्रवाल सहित संस्थान के सभी शिक्षकों ने प्रसन्नता व्यक्त किया है. हाल ही में गोरखपुर में एक ही परिवार के तीन युवको की डूबने सें मृत्यु हों गई थी. ऐसी घटनाओ में अब उनके छात्रों द्वारा तैयार ड्रोन समय से पहुंचाकर डूबने वाले की जान को बचाया जा सकता है.
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