गोरखपुर : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि एक समय ऐसा था कि बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज (BRD Medical College Gorakhpur) की मान्यता पर संकट आ गया था. लगता था फैकल्टी और सीटों की असमानता इसके गौरवशाली इतिहास को खत्म कर देगी, लेकिन वर्ष 2017 के बाद जब समय बदला, प्रदेश में बीजेपी की सरकार आई तो इस कॉलेज में न सिर्फ तमाम सुवधाएं बढ़ीं, बल्कि अब तो इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के लिए सरकार खुद इस परिसर में पहुंच रही है.
सीएम योगी गुरुवार को गोरखपुर में थे और बीआरडी मेडिकल कॉलेज परिसर में 60 करोड़ की लागत से बनने वाले यूजी छात्रों के भवनों के शिलान्यास, रूफ टॉप सोलर एनर्जी सिस्टम के लोकार्पण के बाद चिकित्सकों और मौजूद लोगों को संबोधित कर रहे थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि डबल इंजन की सरकार के प्रयासों से छह-सात वर्षों में पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस पूरी तरह नियंत्रित और समाप्त हो चुका है. इसके उन्मूलन की बस घोषणा बाकी है. इंसेफेलाइटिस नियंत्रण देश और दुनिया का एक सफलतम मॉडल है. स्वास्थ्य विभाग को नोडल विभाग बनाकर तैयार किए गए इस सफलतम मॉडल का केंद्र, गोरखपुर का बीआरडी मेडिकल कॉलेज ही है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस इंसेफेलाइटिस से हर साल 12 सौ से 15 सौ मौतें होती थीं. आज उसे पूरी तरह कंट्रोल करते हुए हम लोग मासूम बच्चों को बचाने में सफल हुए हैं. स्वाभाविक रूप से उसके लिए जो मैनपावर लगता था, उसमें जो संसाधन लगते थे, उसको हम क्वालिटी ऑफ हेल्थ के लिए अन्य लोगों को भी उपलब्ध कराने में सफल हुए हैं. 1977-78 से लेकर 2017 तक इंसेफेलाइटिस को समाप्त करने के बारे में सरकारें सोचती तक नहीं थीं. 2017 में मुख्यमंत्री बनने पर मैंने समाप्त करने, इसके उन्मूलन के बारे में मॉडल तैयार करने पर विचार किया. इसी सिलसिले में कुशीनगर मुसहरों के बीच जाकर स्वच्छता अभियान चलाया. उन्हें स्वच्छता के तरीके समझाए, साबुन के प्रयोग की जानकारी दी. तब मुझ पर तीन दिन मीडिया ट्रायल चला. मीडिया में हंसी उड़ाई गई कि एक मुख्यमंत्री गरीबों को साबुन बांट रहा है, पर जब कोरोना आया तो ट्रायल करने वाले मीडिया के साथियों को भी साबुन और स्वच्छता की बात समझ में आई.
बीआरडी मेडिकल कॉलेज ने काफी उतार-चढ़ाव देखे :सीएम योगी ने कहा कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज का अपना गौरवशाली इतिहास है. इस मेडिकल कॉलेज ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं. वह भी दौर देखा है जब इस मेडिकल कॉलेज में यह पूर्वी यूपी का स्वास्थ्य का एकमात्र केंद्र हुआ करता था और वह भी संसाधनों के अभाव से जूझता था. न डॉक्टर थे, न पैरामेडिक्स थे, न नर्सिंग स्टाफ था और न अन्य कार्यों के लिए जरूरी मैनपावर. इस मेडिकल कॉलेज पर 1997-98 में मान्यता का संकट आया था. तब अतिरिक्त प्रयास करने पड़े थे. एमसीआई ने 1998-99 में एक बार फिर से मान्यता को एक प्रकार से वापस ले लिया था. तब मैं तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री को लेकर दिल्ली गया था, शपथ पत्र दिलवाया था कि हम यहां की आवश्यकता को पूरा करेंगे.