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बजट खर्च में सुस्ती; 10 फीसदी बजट भी नहीं खर्च कर पाए कई विभाग, अब सामने यह चुनौती - UP BUDGET 2024

विशेषज्ञों के अनुसार समय सीमा में बजट खर्च नहीं होने के पीछे अदूरदर्शिता और सही प्लानिंग का अभाव.

यूपी बजट 2024-2025
यूपी बजट 2024-2025 (Photo Credit : ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 22, 2025, 8:10 PM IST

Updated : Jan 22, 2025, 9:17 PM IST

लखनऊ : प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों के पास वित्तीय वर्ष 2024-25 में स्वीकृत बजट का आधे से अधिक हिस्सा खर्च करने के लिए अब सिर्फ ढाई महीने का समय बचा है. बजट खर्च की समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार 31 दिसंबर तक कुल स्वीकृत बजट का मात्र 50.53% और मूल बजट का 54.5% ही खर्च हो पाया है. विकास कार्यों पर बजट खर्च में सुस्ती चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि इस क्षेत्र में अभी 56% बजट खर्च करना बाकी है.




तीन महीने में करनी होगी बड़ी कवायद: प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 7.36 लाख करोड़ रुपये से अधिक का मूल बजट स्वीकृत किया था. बावजूद इसके वित्तीय वर्ष के नौ महीने बीतने के बाद भी लगभग आधा बजट खर्च नहीं किया जा सका है. इस स्थिति ने विभागों के समक्ष बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है, क्योंकि अब उन्हें शेष 50% बजट मात्र तीन महीने में खर्च करना है.

विभागों के बजट का ब्यौरा.
विभागों के बजट का ब्यौरा. (Photo Credit : ETV Bharat)



जोरों पर नये वित्तीय वर्ष की तैयारियां: इसी बीच प्रदेश सरकार आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट को अंतिम रूप देने में जुटी हुई है. उम्मीद है कि यह बजट फरवरी के दूसरे सप्ताह में विधानसभा में पेश किया जाएगा. सरकार 1 अप्रैल से नये बजट के तहत कार्य शुरू करने की योजना बना रही है.


वित्त मंत्री ने जताई चिंता: प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बजट खर्च की समीक्षा की. उन्होंने अधिकारियों को बजट खर्च में तेजी लाने के निर्देश दिए. समीक्षा में यह सामने आया कि विकास कार्यों के लिए आवंटित बजट का बड़ा हिस्सा अब तक खर्च नहीं हुआ है. सरकार चाहती है कि शेष बचे समय में विभाग प्राथमिकता के साथ विकास योजनाओं पर खर्च करें.


बजट खर्च की मुख्य चुनौतियां

  • विकास कार्यों पर सुस्ती : अब तक विकास कार्यों के लिए स्वीकृत बजट का 56% खर्च नहीं हुआ है.
  • समय की कमी : तीन महीने में बजट का बड़ा हिस्सा खर्च करना विभागों के लिए कठिन साबित हो सकता है.
  • नियोजन की कमी : समय पर योजनाओं का क्रियान्वयन न होने से बजट खर्च में रुकावट आई है.

आर्थिक विशेषज्ञ प्रोफेसर एपी तिवारी ने बताया कि बजट का समय सीमा पर खर्च न होना विकास कार्यों में सस्ती और लागत में बढ़ोतरी के संकेत हैं. भारत की बजट प्रणाली ही दुरुस्त नहीं है, क्योंकि सभी विभागों को वित्त विभाग बजट देता है. वित्त विभाग को भारत सरकार बजट देती है. यह बजट आने में काफी समय लग जाता है. विभाग तक पहुंचते पहुंचते समय का अभाव हो जाता है. यही वजह है कि समय सीमा में बजट खर्च नहीं हो पाता है. सरकार को भौतिक बजट पेश करना चाहिए. पहले योजना बना कर उसकी लागत की समीक्षा होनी चाहिए, फिर बजट जारी करना चाहिए. इससे जमीन परियोजनाएं दिखेंगी और लागत भी कम होगी.



प्रोफेसर एपी तिवारी के अनुसार 1977 में टांडा थर्मल पावर प्लांट का बजट 430 करोड़ रुपये था और प्लांट में बिजली बनाने की शुरुआत 1997 में हुई. इस पूरे प्रोजेक्ट पर लागत 930 करोड़ रुपये आई थी. समय सीमा पर प्रोजेक्ट पूरा न होने से एक तो विकास रफ्तार ढीली हुई और लागत भी दोगुना हो गई. बहरहाल सभी सरकारों में बजट पूरी तरीके से नहीं खर्च होते थे. हमारे अनुभव के अनुसार यह पहली सरकार नहीं है कि विभागों में समय सीमा पर बजट नहीं खर्च हुए हैं, बल्कि पहले की सरकारों में भी ऐसे होता था. बहरहाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने योजनाओं-परियोजनाओं को समय सीमा पर पूरा करने जोर दिया है.

यह भी पढ़ें : यूपी विधानसभा बजट सत्र आठवां दिन; अखिलेश ने सरकार पर बोला हमला, कहा- बेमतलब का है बजट - यूपी बजट 2024

यह भी पढ़ें : विधानसभा बजट सत्र : भाजपा विधायक बोले- सरकार के ऐतिहासिक बजट से यूपी में आएगा रामराज्य - यूपी बजट 2024

लखनऊ : प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों के पास वित्तीय वर्ष 2024-25 में स्वीकृत बजट का आधे से अधिक हिस्सा खर्च करने के लिए अब सिर्फ ढाई महीने का समय बचा है. बजट खर्च की समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार 31 दिसंबर तक कुल स्वीकृत बजट का मात्र 50.53% और मूल बजट का 54.5% ही खर्च हो पाया है. विकास कार्यों पर बजट खर्च में सुस्ती चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि इस क्षेत्र में अभी 56% बजट खर्च करना बाकी है.




तीन महीने में करनी होगी बड़ी कवायद: प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 7.36 लाख करोड़ रुपये से अधिक का मूल बजट स्वीकृत किया था. बावजूद इसके वित्तीय वर्ष के नौ महीने बीतने के बाद भी लगभग आधा बजट खर्च नहीं किया जा सका है. इस स्थिति ने विभागों के समक्ष बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है, क्योंकि अब उन्हें शेष 50% बजट मात्र तीन महीने में खर्च करना है.

विभागों के बजट का ब्यौरा.
विभागों के बजट का ब्यौरा. (Photo Credit : ETV Bharat)



जोरों पर नये वित्तीय वर्ष की तैयारियां: इसी बीच प्रदेश सरकार आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट को अंतिम रूप देने में जुटी हुई है. उम्मीद है कि यह बजट फरवरी के दूसरे सप्ताह में विधानसभा में पेश किया जाएगा. सरकार 1 अप्रैल से नये बजट के तहत कार्य शुरू करने की योजना बना रही है.


वित्त मंत्री ने जताई चिंता: प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बजट खर्च की समीक्षा की. उन्होंने अधिकारियों को बजट खर्च में तेजी लाने के निर्देश दिए. समीक्षा में यह सामने आया कि विकास कार्यों के लिए आवंटित बजट का बड़ा हिस्सा अब तक खर्च नहीं हुआ है. सरकार चाहती है कि शेष बचे समय में विभाग प्राथमिकता के साथ विकास योजनाओं पर खर्च करें.


बजट खर्च की मुख्य चुनौतियां

  • विकास कार्यों पर सुस्ती : अब तक विकास कार्यों के लिए स्वीकृत बजट का 56% खर्च नहीं हुआ है.
  • समय की कमी : तीन महीने में बजट का बड़ा हिस्सा खर्च करना विभागों के लिए कठिन साबित हो सकता है.
  • नियोजन की कमी : समय पर योजनाओं का क्रियान्वयन न होने से बजट खर्च में रुकावट आई है.

आर्थिक विशेषज्ञ प्रोफेसर एपी तिवारी ने बताया कि बजट का समय सीमा पर खर्च न होना विकास कार्यों में सस्ती और लागत में बढ़ोतरी के संकेत हैं. भारत की बजट प्रणाली ही दुरुस्त नहीं है, क्योंकि सभी विभागों को वित्त विभाग बजट देता है. वित्त विभाग को भारत सरकार बजट देती है. यह बजट आने में काफी समय लग जाता है. विभाग तक पहुंचते पहुंचते समय का अभाव हो जाता है. यही वजह है कि समय सीमा में बजट खर्च नहीं हो पाता है. सरकार को भौतिक बजट पेश करना चाहिए. पहले योजना बना कर उसकी लागत की समीक्षा होनी चाहिए, फिर बजट जारी करना चाहिए. इससे जमीन परियोजनाएं दिखेंगी और लागत भी कम होगी.



प्रोफेसर एपी तिवारी के अनुसार 1977 में टांडा थर्मल पावर प्लांट का बजट 430 करोड़ रुपये था और प्लांट में बिजली बनाने की शुरुआत 1997 में हुई. इस पूरे प्रोजेक्ट पर लागत 930 करोड़ रुपये आई थी. समय सीमा पर प्रोजेक्ट पूरा न होने से एक तो विकास रफ्तार ढीली हुई और लागत भी दोगुना हो गई. बहरहाल सभी सरकारों में बजट पूरी तरीके से नहीं खर्च होते थे. हमारे अनुभव के अनुसार यह पहली सरकार नहीं है कि विभागों में समय सीमा पर बजट नहीं खर्च हुए हैं, बल्कि पहले की सरकारों में भी ऐसे होता था. बहरहाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने योजनाओं-परियोजनाओं को समय सीमा पर पूरा करने जोर दिया है.

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Last Updated : Jan 22, 2025, 9:17 PM IST
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