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तस्करी के सोने को खपाने का बड़ा केंद्र बना गोरखपुर, DRI की कार्रवाई दे रहें सबूत - Gold Smuggling

हिंदी बाजार को गोरखपुर की सोना मंडी कहते हैं. जहां पर ऐसा सोना लाकर खपाया जाता. यह डीआरआई की छापेमारी बताती है. बगल में नेपाल भी इसका बड़ा स्रोत है. बीते दिनों की बात करें तो वाराणसी की एक फर्म के नाम पर ही यहां के हिंदी बाजार में संचालित हो रही उसकी एक दुकान से डीआरआई ने करीब साढ़े चार किलो सोना बरामद किया था.

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गोरखपुर का हिंदी बाजार. (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 7, 2024, 1:51 PM IST

गोरखपुर:पूर्वांचल में तस्करी का सोना खपाने का गोरखपुर बड़ा केंद्र बनता जा रहा है. डीआरआई (राजस्व खुफिया निदेशालय) की कार्रवाई को देखें तो यह मामला पुष्ट होता है. वर्ष भर में कई ऐसे मामले सामने आए जिससे शहर के हिंदी बाजार में, इस तरह के सोना खपाए जाने की आशंका प्रबल हुई है.

हिंदी बाजार को गोरखपुर की सोना मंडी कहते हैं. जहां पर ऐसा सोना लाकर खपाया जाता. यह डीआरआई की छापेमारी बताती है. बगल में नेपाल भी इसका बड़ा स्रोत है. बीते दिनों की बात करें तो वाराणसी की एक फर्म के नाम पर ही यहां के हिंदी बाजार में संचालित हो रही उसकी एक दुकान से डीआरआई ने करीब साढ़े चार किलो सोना बरामद किया था.

दुकान का रिकॉर्ड जब्त कर उसे वह अपने साथ लेकर चली भी गई. पिछले वर्ष भी यहां पर करीब 24 घंटे तक छापेमारी चली थी और वाराणसी कार्यालय में भी. खास बात है कि हिंदी बाजार सोने की तस्करी को लेकर अक्सर चर्चा में आ जाता है. कभी यहां सोने खपाए जाने की बात होती है तो, कभी तस्करों के पकड़े जाने पर इनके तार हिंदी बाजार से जुड़े मिलते हैं. कुछ लोगों पर सोने की तस्करी का आरोप भी लग चुका है.

कुछ दिनों पहले डीआरआई की टीम ने जब वाराणसी में एक फार्म से सोना बरामद किया तो, उसके तार गोरखपुर के इस हिंदी बाजार से जुड़े मिले. वहां से मिले इनपुट के आधार पर टीम ने यहां के अंबे गहना बाजार के प्रतिष्ठान में छापेमारी की. जब छापेमारी चल रही थी तब दुकान के शटर गिरा दिए गए थे और किसी भी कर्मचारी को बाहर नहीं जाने दिया गया था.

छापेमारी के दौरान यहां के अधिकारी वाराणसी और पटना से भी संपर्क में बने हुए थे. पिछले वर्ष भी अंबे गहना बाजार के इस प्रतिष्ठान पर छापेमारी हुई थी. उसमें अधिकारियों ने दो से तीन दिन की जांच में करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा पकड़ा था.

सर्राफा मंडल के अध्यक्ष गणेश वर्मा कहते हैं कि डीआरआई की कार्रवाई से हिंदी बाजार की साख पर निश्चित ही सवाल खड़ा होता है. लेकिन, कुछ लोगों की मिली भगत ही सोने की इस मंडी पर दाग लगा रही है. सर्राफा मंडल इसका भी हल ढूंढ़ने में लगा है.

डीआरआई ने अब तक जो सोना पकड़ने में सफलता प्राप्त की है उनकी तिथियों की बात करें तो, मई 2024 में गोरखपुर रेलवे स्टेशन से 750 ग्राम सोना पकड़ा गया था जो थाईलैंड से लाया गया था. इसी प्रकार फरवरी 2024 में कुशीनगर फोरलेन पर 7 लाख की कीमत के सोने के साथ दो तस्कर पकड़े गए थे. जिन्होंने बताया था कि वह ऐसे सोने को गोरखपुर के हिंदी बाजार में बेचने का कार्य करते हैं.

इसी प्रकार वर्ष 2023 में देवरिया रेलवे स्टेशन से पकड़े गए तस्करों के पास से एक करोड़ 31 लख रुपए के 17 सोने के बिस्किट बरामद हुए थे. वर्ष 2023 में गोरखपुर के तारामंडल के पास डीआरआई की टीम ने तस्करों को पकड़ा और 40 लख रुपए का सोना उनके पास से बरामद हुआ.

वर्ष 2022 में बिहार में 37 किलो सोना के साथ सुडानी नागरिक पकड़े गए थे, जिनसे भी यह सोना गोरखपुर वाया नेपाल तक खपाने की बात प्रकाश में आई थी. वहीं वर्ष 2022 में गोरखपुर के व्यापारी के पास से ढाई किलो सोना बरामद हुआ था तो, दिसंबर 2022 में गुवाहाटी से मुंबई जा रही ट्रेन में गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर 650 ग्राम सोना बरामद हुआ.

दिसंबर 2022 में ही तारामंडल क्षेत्र के पास से सवा किलो सोने की बरामदे की डीआरआई की टीम ने किया था. इससे पहले मार्च 2020 में गोरखपुर में 12 किलो सोना बरामद हुआ था, जिसमें 5 और 7 किलो अलग-अलग जगह से पकड़ा गया था. इसी प्रकार वर्ष 2019 में लखनऊ के पास से एक किलो सोना और 3 करोड़ विदेशी रुपए बरामद हुए थे. पकड़े गए लोग जहां जेल की हवा खाने लगे तो वहीं डीआरआई ने इन सोने को अपने पास जब्त कर लिया.

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