रायबरेली : रायबरेली आजादी के महानायक राणा बेनी माधव बक्श सिंह की जन्म स्थली गांव उड़वा अपेक्षाओं का शिकार है. इस ऐतिहासिक गांव का निवर्तमान सांसद सोनिया गांधी ने कभी इसकी दशा को बदलने का बीड़ा उठाया था. बात वर्ष 2014 की है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुरू की गई 'सांसद आदर्श ग्राम योजना' के तहत रायबरेली की सांसद सोनिया गांधी ने इसे गोद लिया था. आज उस बात को 10 साल बीत चुके हैं और अब इस समय सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी रायबरेली के सांसद है. ऐसे में उड़वा गांव के लोग अपने सांसद से यह उम्मीद लगाए हैं कि शायद अब उनके गांव की सूरत बदेलगी. क्योंकि इतने साल बीत जाने के बाद सोनिया गांधी ही नहीं, बल्कि कोई कार्यकर्ता तक उनके गांव की सुध लेने तक नहीं आया.
साल 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने जब रायबरेली से चुनाव न लड़ने का फैसला लिया, तो भरे मंच पर यह भी कहा था कि वह अपना बेटा रायबरेली की जनता को सौंप कर जा रही हैं. रायबरेली की जिम्मेदारी अब राहुल गांधी के कंधों पर है. साथ ही उस गांव की जिम्मेदारी भी जिसे कभी उनकी मां ने गोद लिया था.
सुविधाओं का अभाव: ऊंचाहार विधानसभा के जगतपुर ब्लॉक के उड़वा गांव का संपर्क मार्ग जर्जर है और स्वतंत्रता सेनानी राणा बेनी माधव सिंह द्वार पर उनका नाम भी मिट चुका है, जिसे पढ़ना मुश्किल है. गांव में लोग छोटे व्यवसाय और खेती-बाड़ी से गुजर बसर कर रहे हैं. सरकारी योजनाओं से थोड़ा बहुत विकास हुआ है, लेकिन लोग रोजगार और शिक्षा के लिए बाहर जाते हैं. यहां कोई इंटर कॉलेज नहीं है और स्वास्थ्य सेवा का भी अभाव है. गाँव के लोगों से जब जनप्रतिनिधियों के बारे में बात की गई तो लोगों में नाराजगी दिखी.
ग्राम प्रधान रमेश कुमार मिश्र ने कहा कि सांसद निधि से उनकी ग्राम पंचायत में कोई काम नहीं हुआ है. उन्होंने सांसद राहुल गांधी का नाम लेते हुए कहा कि अगर उनका चपरासी भी गांव आता, तो वह इसे सौभाग्य मानते। रमेश मिश्र ने बताया कि 6 साल पहले वह दिल्ली गए थे और सोनिया गांधी के प्रतिनिधि के.एल शर्मा से मिलकर बारात घर बनाने की मांग की थी, लेकिन आज तक वह नहीं बन पाया.
वही गांव के रहने वाले बुजुर्ग छोटेलाल तिवारी कहते हैं कि गांव में हमें कोई विकास कार्य दिखाई नहीं दिया. मंदिर के नाम पर भी गांव में कुछ भी नहीं हुआ. गांव के मंदिर के निर्माण कार्य लोग चंदा इकट्ठा करके करवा रहे हैं. सोनिया गांधी के गोद लेने के बाद इस गांव में कोई विकास नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि यह गांव स्वतंत्रता सेनानी राणा बेनी माधव बक्श सिंह का गांव है.
गांव के रहने वाले राम नरेश मिश्र का कहना है कि जब हमारे गांव को सोनिया गांधी ने गोद लिया था तब नाच गाना हुआ, बहुत ही उत्साह का माहौल था. हमें उम्मीद थी कि हमारे गांव का विकास होगा. लेकिन आज तक कोई देखने तक नहीं आया. राहुल गांधी से विकास की वह कोई उम्मीद नहीं रखते हैं, क्योंकि आज तक उनका एक कार्यकर्ता यहां देखने तक नहीं आया.
इसी प्रकार एक युवा अजीत कुमार गौड़ का कहना है कि यहां खास कुछ विकास नहीं हुआ है, जैसा पहले था वैसा ही आज भी है. सांसद राहुल गांधी ही बता सकते हैं कि वह इस गांव के लिए क्या कर सकते हैं.
कांग्रेस जिला कमेटी के मीडिया इंचार्ज विनय द्विवेदी का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर देश भर के सांसदों ने आदर्श ग्राम योजना के तहत पर एक एक गांव गोद लिए थे. तब रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी ने भी उड़वा गांव को गोद लिया. कहा गया कि उन गोद लिये गांवो में विकास करवाया जाएगा. उन्हें एक मॉडल के रूप में स्थापित किया जाएगा. इसके 10 साल बाद भी कोई कार्य योजना तैयार नहीं हुई, न ही कोई फंड अलग से आया.
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