गोपालगंज:ग्लोबल वार्मिंग और भीषण गर्मी ने हमें पर्यावरण संरक्षण की अहमियत को एक बार फिर से समझाया है. जिसे देखते हुए बिहार के गोपालगंज जिले के मांझागढ़ प्रखंड के फुलवरिया गांव में एक युवक पिछले 12 सालों से पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए पेड़ लगाने की मुहिम में जुटा हुआ है. इस मुहिम से अब गांव के छोटे-छोटे बच्चे भी जुड़ गए हैं. इनका मकसद सिर्फ पेड़ लगाना नहीं बल्कि पेड़ो की उचित देखभाल करना भी है ताकि हमारा पर्यावरण दूषित होने से बचे.
डिलीवरी बॉय बना पर्यावरण संरक्षक: बता दें कि बीते कुछ सालों से बिहार में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी ने कई लोगों की जान ली है. वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो पर्यावरण संरक्षण के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं. इन्ही लोगो में से एक नाम गोपालगंज के मांझागढ़ प्रखंड के फुलवरिया गांव निवासी निजामुद्दीन मियां के बेटे दिलशाद का भी है. दिलशाद पेशे से एक डिलीवरी बॉय है और महीने का 25 हजार रुपये कमाते हैं.
समाज के लिए बने प्रेरणा का स्रोत: दिलशाद मां-बाप के एकलौता बेटे हैं, जिनकी दो बहने भी हैं. पिता पेशे से किसान हैं, जो घर पर ही रहते है, जबकि दिलशाद परिवार का भरण पोषण करने के लिए डिलीवरी बॉय का काम करते हैं. इसके अलावा वो समाज के प्रति भी अपनी सकारात्मक सोच रखते हुए समाज क्लयाण के लिए पेड़ लगाते है. जिस वजह से वो कई लोगों के बीच एक प्रेरणा का स्रोत बन हुए हैं.
25 हजार की आमदनी से दस हजार पेड़ लगाने मे करते है खर्च: दिलशाद एक ऐसे पर्यावरण प्रेमी हैं जो पिछले छः माह पूर्व उसने फ्लिप कार्ड में डिलिवरी बॉय के तौर पर नौकरी शुरू कर दी। जिससे 25 हजार रुपए मिलते और उसमे से दस हजार रुपए पेड़ लगाने के लिए पेड़ और पेड़ को सुरक्षित रखने के लिए जाल बांस समेत विभिन्न कार्यों के लिए खर्च करते है। ताकि हमारा पर्यावरण सुरक्षित रह सके। आज तक दिलशाद ने करीब पांच सौ पेड़ लगा चुके है। जबकि साढ़े तीन सौ पेड़ सुरक्षित है और डेढ़ सौ पेड़ खराब हो गए.
स्कूल से मिली थी प्रेरणा: दिलशाद ने बताया कि पेड़ लगाने की प्रेरणा उन्हें स्कूल में पढ़ाई के दौरान शिक्षक से मिली थी. जब वह आठवीं कक्षा में पढ़ते थे तब उन्हे एक शिक्षक ने पर्यावरण के महत्व के बारे में बताया था, साथ ही उन्होंने कहा था कि अगर हर इंसान पेड़ लगाए तो पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है. शिक्षक की बातों को दिलशाद ने अपने मन में बैठा लिया. इसके बाद माता-पिता से जो पैसे मिलते थे, उसे वह अपने गुल्लक में जमा करने लगे ताकि पेड़ खरीद कर घर के पास लगा सके.
"आज अधिक मात्रा में लोग अपने शौक-सुविधाओ के कारण पेड़ काट रहे हैं. वहीं बहुत कम लोग है जो पेड़ लगा रहे हैं. अगर एक पेड़ के बदले दस पेड़ लगाया जाए तभी इसकी पूर्ति हो सकती है. कई लोग मेरे काम की सराहना करते हैं तो कुछ लोग पेड़ को उखाड़ कर फेक देते हैं. जिसके कारण मजबूरन इसकी देखभाल के लिए लड़कों को रखना पड़ता है. कुछ लड़को को रखकर पेड़ों में पानी डालने का काम भी करता हूं. इसके लिए उन्हें पैसे भी देता हूं. कई बच्चे बिना पैसों के भी मदद करते हैं."-दिलशाद, पर्यवारण प्रेमी
पेड़ लगाने के लिए जमा करते थे पैसे: दिलशाद को पेड़ खरीदने के लिए पैसे नहीं मिलते थे. जिसकी वजह से वो एक दिन गुल्लक में जमा पैसे को निकाल कर आम और लीची के दो पेड़ खरीद कर लाए. उन्होंने उसे अपने खेत में लगाया, जो आज भी मौजूद है. इसके बाद वह अपने जमीन पर धीरे-धीरे कई पेड़ लगाने लगे. शुरुआत में परिवार के लोगो ने विरोध किया लेकिन जब उन्हें पेड़ लगाने के महत्व को बताया तो वो भी समर्थन करते हुए तारीफ करने लगें.