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गोकुलधाम का सपना कब होगा पूरा, सरकार आई और गई,लेकिन नहीं पूरा हुआ प्रोजेक्ट - Gokuldham on paper - GOKULDHAM ON PAPER

Gokuldham work incomplete जगदलपुर को मवेशी मुक्त बनाने के लिए बीजेपी गोकुलधाम योजना लेकर आई थी.लेकिन इस योजना का भविष्य अब अधर में हैं.बीजेपी शासन जाने के बाद योजना के लिए फंड जारी नहीं हुआ.जिसका नतीजा ये है कि आज भी गोकुलधाम में गौवंश का वास नहीं हो सका है.जिसका खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है.

Gokuldham work incomplete
गोकुलधाम का सपना कब होगा पूरा (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 10, 2024, 7:22 PM IST

बस्तर : जगदलपुर शहर के बीचों बीच चल रही डेयरियों को शहर से दूर करकापाल में विस्थापित करने की योजना बनीं थी. जिसके लिए 5 करोड़ की लागत से गोकुलधाम योजना तैयार की गई थी. लेकिन 7 साल बीतने के बाद भी पर्याप्त फंड नहीं मिलने से गोकुलधाम बस नहीं पाया है. गोकुलधाम के अभाव में शहर के पशु पालकों के मवेशी सड़क और चौक-चौराहों पर डेरा डाले हुए हैं.वहीं दूसरी तरफ अतिक्रमणधारी गोकुल धाम की जमीन पर कब्जा कर रहे हैं.

गोकुलधाम का सपना कब होगा पूरा :जिला मुख्यालय से लगभग 4 किमी दूर करकापाल के रानमुंडा में रेलवे लाइन के किनारे 10 साल पहले बीजेपी सरकार में गोकुलधाम के लिए 5 एकड़ भूमि आरक्षित की गई थी. 5 करोड़ रूपए की राशि स्वीकृत हुई थी. इस योजना के लिए तत्कालीन महापौर जतिन जायसवाल की उपस्थिति में मंत्री केदार कश्यप ने गोकुलधाम के लिए भूमिपूजन किया था. लेकिन इस योजना के लिए राज्य सरकार से मात्र डेढ़ करोड़ रुपए ही प्राप्त हो सका. जिससे डब्लूबीएम सड़क, नाली और एक तालाब का निर्माण करवाया गया है.

''इसकी जानकारी मिली है. जानकारी मिलने के बाद विशेष टीम तैयार करके मौके पर जाया जाएगा. जांच पड़ताल करने के बाद उस पर उचित निर्णय लिए जाएगा. गोकुलधाम बनना बेहद ही जरूरी है. शहर से डेयरियों को विस्थापित करना हमारा प्लान है.''- हरेश मंडावी, आयुक्त नगर निगम जगदलपुर

सात साल में 30 फीसदी जारी हुई रकम :पिछले 7 साल में गोकुलधाम को पूरा करने के लिए राज्य शासन से एक भी पैसा नहीं मिला है. इसलिए नगर निगम की महत्वपूर्ण योजना अधूरी है. नगर निगम क्षेत्र में संचालित 50 से अधिक डेयरियों को गोकुलधाम में विस्थापित करने की योजना है. गोकुलधाम में हर पशु पालक के लिए अलग शेड, मवेशियों के लिए अस्पताल, पानी के साथ अन्य व्यवस्था की जानी है. लेकिन फंड के अभाव में यह काम पूरा नहीं हो पाया है

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