बीकानेर. चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन देवी मां दुर्गा के मां कालरात्रि स्वरूप की पूजा होती है. नवरात्रि के सातवें दिन यानी सप्तमी तिथि को महासप्तमी भी कहते हैं. महासप्तमी को मां कालरात्रि की पूजा होती है. देवी दुर्गा के मां कालरात्रि स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व देवी पुराण में बताया गया है.
दैत्यों के विनाश के लिए अवतार :पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि मां कालरात्रि का स्वरूप उग्र है और यह अवतार दैत्यों के विनाश के लिए हुआ इसलिए इनकी पूजा का विशेष महत्व है. किराडू ने बताया कि काल सबका भक्षण करता है, लेकिन उसका भी दमन करने की शक्ति मां कालरात्रि में है. पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि दुर्गा सप्तशती के अनुसार कालरात्रि रूप में अवतार के बाद मां ने शुंभ, निशुंभ के साथ रक्तबीज का विनाश किया. मां कालरात्रि महादुष्टों का सर्वनाश करने के लिए जानी जाती हैं. इनकी पूजा से भय और रोगों का नाश होने के साथ ही भूत प्रेत, अकाल मृत्यु, रोग, शोक आदि से छुटकारा मिलता है. मां दुर्गा के सातवें स्वरूप की देवी मां कालरात्रि तीन नेत्र यानि त्रिनेत्र वाली देवी हैं.