मसूरी: उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से उत्तराखंड में भूस्खलन प्रबंधन एवं जोखिम न्यूनीकरण विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला देहरादून में आयोजित की गई. भूस्खलन के प्रभाव और बचाव पर विस्तार से जानकारी दी गई. इसके बाद भूस्खलन जोखिम शमन योजना के तहत लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, यूएलएमएमसी, टीएचडीसी और उत्तराखंड आपदा प्रबंधन के अधिकारी मसूरी पहुंचे.
भू वैज्ञानिक दीपाली सिंगल राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन दिल्ली के नेतृत्व में मसूरी कैम्पटी क्षेत्र के चडौगी बाईपास और मसूरी के गलोगी पावर हाउस के पास भूस्खलन ट्रीटमेंट क्षेत्र का निरीक्षण किया गया. इस मौके पर विभिन्न विभागों के जेई और ऐई को भूस्खलन के बाद नई तकनीकों से किये जा रहे ट्रीटमेंट की जानकारी दी गई. दीपाली सिंगल भूवैज्ञानिक राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन दिल्ली ने कहा कि उत्तराखंड में भूस्खलन का प्रभाव बना रहता है. इसे पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता है, लेकिन कम जरूर किया जा सकता है. इसी को लेकर कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों द्वारा चर्चा की जा रही है.
दीपाली सिंगल ने कहा कि भूस्खलन जोखिम शमन योजना के तहत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन दिल्ली के द्वारा चार राज्यों को चिन्हित किया गया था. इनमें से तीन राज्यों में काम लगभग पूरा हो चुका है. अब उत्तराखंड में भूस्खलन जोखिम शमन योजना के तहत काम किया जा रहा है. सभी संबंधित विभाग को भूस्खलन से होने वाले नुकसान और उसके बचाव के बारे में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के साथ अधिकारियों और इंजीनियरों को नई तकनीक के बारे जानकारी दी जा रही है. उन्होंने कहा कि ना कि सिर्फ उत्तराखंड में परंतु पूरे हिंदुस्तान में आपदा की घटना लगातार बढ़ रही हैं. इसको लेकर विभिन्न प्रकार की कार्यशाला आयोजित की जा रही हैं. जिससे कि लोगों को आपदा के बाद लिए जाने वाले कदम और बचाव के बारे में बताया जा सके. उन्होंने कहा कि जहां भी आपदा आती है, वहां के रहने वाले लोग पहले रिस्पांडर होते हैं. उनको समझाना होता है कि वह आपदा के समय में अपने आप को किस तरीके से बचा सकते हैं.
उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन द्वारा लोगों की जान बचाने को लेकर विभिन्न प्रकार की कार्यशाला आयोजित की जा रही हैं. वहीं नई तकनीक से क्षतिग्रस्त पहाड़ों के ट्रीटमेंट हो सकें, उसके बारे में भी विस्तृत जानकारी दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि मानसून सीजन में भूस्खलन की सबसे ज्यादा समस्या होती है. ऐसे में आने वाले मानसून सीजन को लेकर उत्तराखंड सरकार द्वारा आपदा से संबंधित सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.
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