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AI और Sattelite Image से पता लगेगी अवैध कॉलोनियां, जनता की कमाई नहीं हड़प सकेंगे भूमाफिया - GDA Will Adopt AI Technology - GDA WILL ADOPT AI TECHNOLOGY

GDA Will Adopt AI Technology: अवैध निर्माण की रोकथाम और उस पर नजर रखने के लिए गाजियाबाद विकास प्राधिकरण आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक अपनाने जा रहा है. इसके लिए साफ्टवेयर डेवलप किया जा रहा है. अब प्राधिकरण की कॉलोनियों में भूखंड पर यदि कोई अवैध निर्माण करेगा तो वह पकड़ा जाएगा.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 12, 2024, 5:33 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद:दिल्ली एनसीआर में बड़ी संख्या में लोग आकर बस रहे हैं और यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. बढ़ती आबादी के साथ-साथ दिल्ली एनसीआर में प्रॉपर्टी की डिमांड में भी भारी इजाफा हुआ है. एनसीआर में प्रॉपर्टी की इस बढ़ती डिमांड का कॉलोनाइजर भी खूब फायदा उठा रहे हैं. अवैध रूप से कॉलोनियां काटी जा रही है. कृषि भूमि पर आवासीय कॉलोनी बसाई जा रही हैं. डूब क्षेत्र भी कॉलोनाइजरों के निशाने पर है. अवैध निर्माण पर लगाम लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सैटेलाइट इमेज मैपिंग का अब इस्तेमाल होगा.

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष अतुल वत्स के मुताबिक, प्राधिकरण को डिजिटाइज्ड करने के लिए मुहिम चलाई जा रही है. गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने सीएसआर के माध्यम से AI सॉफ्टवेयर विकसित कराया है. विकास प्राधिकरण के क्षेत्र में कहां-कहां पर अवैध रूप से कॉलोनी को बसाया जा रहा है. इसके बारे में जानकारी AI सॉफ्टवेयर के माध्यम से मिल सकेगी. जिससे अवैध रूप से काटी जा रही कॉलोनी पर रोकथाम लगाने में काफी मदद मिलेगी.

सैटेलाइट इमेज बताएगी अवैध निर्माण: प्राधिकरण से मिली जानकारी के मुताबिक, AI सॉफ्टवेयर के माध्यम से विकसित की जा रही कॉलोनी के बारे में तमाम जानकारी उपलब्ध होगी. यहां तक की सेटेलाइट इमेज में अवैध रूप से विकसित की जा रही कॉलोनी में बिजली के खम्बो तक की साफ तस्वीर दिखाई देगी. यदि किसी प्रकार का कोई निर्माण रास्ते या बिजली के खंभे लगे होने की जानकारी मिलती है तो जांच की जाएगी कि कॉलोनी का नक्शा विकास प्राधिकरण से स्वीकृत है या नहीं. यदि नक्शा पास कराए बिना ऐसा किया जा रहा होगा तो कार्रवाई की जाएगी.

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बढ़ेगी कार्यवाही की रफ्तार:कुल मिलाकर यह सॉफ्टवेयर के माध्यम से गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को अवैध रूप से विकसित की जा रही कॉलोनी की जानकारी मिलेगी. जिससे कार्यवाही की रफ्तार भी बढ़ेगी. साथ ही विकास प्राधिकरण आम जनता को भी जानकारी साझा कर बताएगा कि कौन से क्षेत्र में अवैध रूप से कालोनियां बसाई जा रही हैं और अवैध कॉलोनियों में जमीन खरीदने के क्या कुछ नुकसान उठाने पड़ सकते हैं.

ऐसे पता लगेगा अवैध निर्माण:दो सैटेलाइट इमेज की मैपिंग की जाएगी. पहले सैटेलाइट इमेज को कैप्चर करने के बाद दूसरी सैटेलाइट इमेज तीन महीने बाद कैप्चर की जाएगी. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर के माध्यम से दोनों इमेज को कंपेयर किया जाएगा. उदाहरण के तौर पर सैटेलाइट इमेज द्वारा इमेज कैप्चर की गई. इसमें खेत दिखाई दे रहा है, लेकिन 3 महीने बाद ठीक उसी जगह की इमेज कैप्चर करने पर वहां पर खेत नहीं बल्कि कच्ची सड़के, निर्माण और प्लाटिंग आदि दिखाई दे रही है. इसका मतलब है कि यहां अवैध रूप से निर्माण और बसावट की जा रही है.

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