शिमला: हिमाचल में सेब और अन्य फलों की पैदावार से बागवानों की आर्थिक सेहत सुधारने के लिए सरकार ने एक और पहल की है. बागवानों को फल उत्पादन से अधिक कमाई हो इसके लिए सरकार ने बगीचों में डाली जाने वाली खाद, फूल और फलों को कीड़ों से बचाने के लिए पौधों में किए जाने वाले कीटनाशक छिड़काव के रेट कम किए हैं.
इसके लिए एचपीएमसी ने अपने लाभ मार्जिन को 15 फीसदी से घटाकर 9 फीसदी किया है. ऐसे में अब बागवानों को सस्ते रेट पर खाद और कीटनाशक उपलब्ध होंगे. वहीं, सरकार ने बागवानों को खराब हुए सेब से लाभ पहुंचाने के लिए तीन संयंत्रों के माध्यम से 1,545 मीट्रिक टन सेब जूस कंसन्ट्रेट का प्रसंस्करण किया है जो एक रिकॉर्ड है.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा शिमला जिला के पराला संयंत्र से 814 मीट्रिक टन, सोलन जिला के परवाणु संयंत्र से 653 मीट्रिक टन और मंडी जिला के जरोल संयंत्र से 78 मीट्रिक टन सेब जूस कंसंट्रेट का प्रसंस्करण किया गया है.
एमआईएस के तहत खरीदे 29,200 मीट्रिक टन सेब
सीएम सुक्खू ने कहा है कि एचपीएमसी द्वारा खरीदे गए करीब सभी सेबों का सर्वोत्तम उपयोग किया जा रहा है और बहुत कम मात्रा में फलों को नीलामी के माध्यम से बेचा जा रहा है. उन्होंने कहा कि खरीद मानकों की अनुपालना करते हुए इस सीजन में खरीदे गए 92 फीसदी सेबों का प्रसंस्करण किया जा रहा है.
इस साल एमआईएस के तहत प्रदेश में कुल 29,200 मीट्रिक टन सेब खरीदे गए हैं. इसमें से एचपीएमसी के 206 खरीद केंद्रों के माध्यम से 19,437 मीट्रिक टन, हिमफैड के 109 केंद्रों में 9,764 मीट्रिक टन सेब खरीदे गए हैं. उन्होंने कहा कि हिमाचल में सेब का सीजन जारी है और मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) के तहत सेब खरीदे जा रहे हैं.
इससे प्रसंस्करण में और बढ़ोतरी होने की संभावना है. एमआईएस के तहत सेब खरीद की गुणवत्ता बढ़ाने के प्रयास में एचपीएमसी ने क्रेटों का उपयोग करके किसानों से 1,219 मीट्रिक टन सेब की खरीद की है. पहली बार चंबा जिले के दूरदराज के क्षेत्र पांगी में भी सेब की खरीद शुरू हो गई है.