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Delhi: निवेशकों के साथ धोखाधड़ी मामले में पूर्व विधायक रणबीर सिंह खर्ब बरी - RANBIR SINGH KHARB WAS ACQUITTED

पूर्व विधायक रणबीर सिंह खर्ब और पत्नी अनीता को मिली राहत. स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने दोनों को बरी करने का जारी किया आदेश.

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राऊज एवेन्यू कोर्ट (Etv Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 23, 2024, 6:36 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट की सेशंस अदालत ने निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के मामले में पूर्व विधायक रणबीर सिंह खर्ब और उनकी पत्नी अनीता को ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई सात साल कैद की सजा को निरस्त कर दिया है. स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने दोनों आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया. केस की सुनवाई के दौरान आरोपियों के वकील ने कोर्ट में इस बात का हवाला दिया कि 29 फरवरी को दिए गए फैसले में एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत दोषी ठहराने का उल्लेख नहीं किया है. जबकि, इन पर इस धारा के तहत आरोप लगाया गया था.

न्यायाधीश ने इस बात को ध्यान में रखते हुए दोनों की सजा निलंबित कर रिहा करने का आदेश दिया. साथ ही व्यक्तिगत मुचलके के रूप में 25-25 हजार रुपये और जमानती की शर्त पर रिहाई का निर्देश दिया. मामले की शुरुआत 26 फरवरी को एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत के निर्णय से हुई, जिसमें उन्होंने रणबीर सिंह खर्ब और उनकी पत्नी अनीता को सात साल की कैद की सजा सुनाई थी.

और उन पर 44 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. इस मामले में आरोप था कि दोनों ने एक चिटफंड कंपनी ज्योति फेयर फाइनेंस के माध्यम से ऊंचे रिटर्न का झांसा देकर निवेशकों से करीब तीन करोड़ रुपये ठगे थे.

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सबसे पहली शिकायत एएस हुड्डा ने 30 सितंबर 2005 को दर्ज कराई थी. हुड्डा ने 1998 से 2002 के बीच ज्योति फेयर फाइनेंस कंपनी में 95 लाख रुपये का निवेश किया था. जब उन्होंने कंपनी से रिटर्न मांगा, तो कंपनी ने उसे देने से इनकार कर दिया. इसके बाद हुड्डा की शिकायत पर रणबीर सिंह खर्ब, अनीता खर्ब और कंपनी के अन्य निदेशकों के खिलाफ FIR दर्ज की गई.

ज्योति फेयर फाइनेंस कंपनी का निर्माण 1998 में हुआ था. कंपनी में निवेशकों को आकर्षित करने वाला ऊंचा रिटर्न का वादा किया गया था. दिसंबर 2003 में रणबीर खर्ब महाराष्ट्र से विधायक बने और उसके बाद उन्होंने निवेशकों को रिटर्न देने से लगातार इनकार करना शुरू कर दिया. इसके अलावा उन्होंने निवेशकों को डराने-धमकाने की कोशिशें भी कीं, जिसके फलस्वरूप पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू की.

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