रांची: झारखंड की पहचान खनिज संपदा के साथ वन संपदा के लिए होती है. लेकिन वन संपदा की रक्षा करने वाले वनरक्षी, सरकार के एक फैसले से परेशान होकर हड़ताल पर चले गये हैं. वन विभाग के जिला मुख्यालय समेत रांची दफ्तर के सामने वनरक्षी धरना पर बैठ गये थे.
झारखंड राज्य अवर वन सेवा संघ के महामंत्री मनोरंजन कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि 2014 में मुख्यमंत्री बनने पर हेमंत सोरेन ने ही वनरक्षियों के हित में नियमावली बनाई थी. इसके तहत वनरक्षियों को ही वनपाल के पद पर प्रमोट करने का प्रावधान था. लेकिन पिछले दिनों सरकार को गुमराह कर नियमावली में संशोधन कर दिया गया. अब झारखंड राज्य अवर वन क्षेत्रकर्मी संवर्ग नियमावली, 2024 के तहत वनपाल के 50 फीसदी पद पर सीधी बहाली होगी. पूर्व की नियमावली के मुताबिक वनपाल के शत प्रतिशत पद वनरक्षियों के प्रमोशन से ही भरने का प्रावधान था.
संघ के महामंत्री के मुताबिक सरकार के इस फैसले से बड़ी संख्या में वनरक्षी बिना प्रमोट हुए ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे. ऐसा करना उनके साथ अन्याय है. संघ को भनक थी कि ऐसा कुछ होने वाला है. लिहाजा, 15 मार्च को ही तत्कालीन वन सचिव वंदना दादेल से मिलकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया था. इसको लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दर्जन से ज्यादा पत्र भी लिखा जा चुका है. पीसीसीएफ से भी बात हुई है. लेकिन जब उनकी मांगों पर विचार नहीं हुआ तो मजबूर होकर हड़ताल करना पड़ रहा है.
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