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वनाग्नि के पुराने रिकॉर्ड्स पर महकमा करेगा काम, घटनाओं की मॉनिटरिंग के भी निर्देश - UTTARAKHAND FOREST FIRE

उत्तराखंड में वन विभाग पिछले पांच साल के रिकॉर्ड के आधार पर वनाग्नि संवेदनशील क्षेत्रों में काम करेगा.

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वनाग्नि के पुराने रिकॉर्ड्स पर महकमा करेगा काम (FILE PHOTO ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 22, 2024, 10:41 PM IST

देहरादूनःउत्तराखंड वनाग्नि के लिहाज से संवेदनशील राज्यों में शुमार है. इस साल वनाग्नि की घटनाएं प्रदेश के लिए बड़ी परेशानी रही है. शायद इसी को देखते हुए पुराने रिकॉर्ड्स के आधार पर संवेदनशील वन क्षेत्रों में घटनाओं को रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं. खास बात यह है कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री ने भी इस संदर्भ में पिछले 5 साल के रिकॉर्ड के आधार पर संवेदनशील क्षेत्र के लिए पहले ही काम करने के निर्देश जारी कर दिए हैं.

उत्तराखंड में जंगलों की आग फायर सीजन के दौरान सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बनती रही है. स्थिति यह है कि साल दर साल इन घटनाओं को रोकने के लिए तमाम दावे किए जाते हैं. लेकिन धरातल पर ऐसी घटनाएं कम नहीं हो पाती. उत्तराखंड में इस साल तो जंगलों की आग बेहद भयावह रूप लेती हुई भी दिखाई दी है. हालत ये रही कि देश में सबसे ज्यादा आग की घटनाएं उत्तराखंड में ही हुई है. राज्य में इस बार फायर सीजन के दौरान 2000 से ज्यादा आग की घटना रिकॉर्ड की गई है, जो कि देश में सबसे ज्यादा थीं.

वन विभाग पिछले पांच साल के रिकॉर्ड के आधार पर वनाग्नि संवेदनशील क्षेत्रों में काम करेगा (VIDEO-ETV Bharat)

हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर वनाग्नि की घटना पिछले साल की तुलना में कम रही है. लेकिन कुछ राज्य इस साल जंगलों की आग को लेकर बेहद ज्यादा प्रभावित रहे हैं. खासतौर पर हिमालय राज्यों में उत्तराखंड और हिमाचल इन प्रदेशों में शामिल हैं. देशभर में जंगलों की आग के आंकड़े सेटेलाइट के माध्यम से रिकॉर्ड होते हैं और फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) इसकी राष्ट्रीय स्तर पर बारीकी से निगरानी करता है. सेटेलाइट के माध्यम से तैयार किए गए आंकड़ों के आधार पर ही ऐसे क्षेत्रों को भी चिन्हित किया जा रहा है, जहां पिछले 5 साल से लगातार आग लगने की घटनाएं मिल रही है.

ऐसे ही क्षेत्रों को लेकर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने राज्यों को निर्देश देते हुए इन संवेदनशील क्षेत्रों में फायर सीजन से पहले ही काम किए जाने के निर्देश दिए हैं. इस दौरान स्थानीय लोगों को इन क्षेत्रों के लिए जागरूक करने और आग की घटनाओं को कम करने के सभी प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए कहा गया है.

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