पलामूः नवंबर 2019 में दौरान पलामू के पिपरा थाना क्षेत्र में भरे बाजार में माओवादियों ने तत्कालीन प्रखंड प्रमुख के पति मोहन गुप्ता को गोलियों से भून दिया था. जिस वक्त यह हमला हुआ था उस वक्त झारखंड में विधानसभा के चुनाव हो रहे थे. यह अंतिम बड़ी नक्सली घटना है जो चुनाव के दौरान हुई थी.
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 जारी है. पहले चरण की वोटिंग खत्म हो गई है. झारखंड गठन के बाद पहली बार पलामू प्रमंडल में विधानसभा चुनाव के दौरान नक्सल हिंसा नहीं हुई है. चुनाव के दौरान झारखंड में सबसे अधिक नक्सली घटना पलामू प्रमंडल के इलाके में रिकॉर्ड किया जाता था. पलामू, गढ़वा और लातेहार के इलाके में नक्सल दस्ते सक्रिय है. लेकिन चुनाव के दौरान वे किसी भी घटना को अंजाम देने के सफल नहीं हुए.
2004 में पहली बार माओवादियों ने किया था लैंड माइंस का इस्तेमाल
2004 में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव के दौरान माओवादियों ने पहली बार इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) का इस्तेमाल किया था. चुनाव के दौरान लातेहार के बालूमाथ के इलाके में आईईडी के विस्फोट में चार जवान शहीद हुए. यह पहला मौका था जब चुनाव के दौरान के नक्सलियों ने पुलिस एवं सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए लैंड माइंस लगाया था.
इस घटना के बाद चुनाव के तरीकों में काफी बदलाव हुआ था. 2019 में पलामू के इलाके में 40 नक्सली हमलों के आंकड़े को रिकॉर्ड किया गया था, जिसमें से छह हमले विधानसभा चुनाव से जुड़े हुए. 2014 में 39 नक्सल हमले के आंकड़े को रिकॉर्ड किया गया जिसमें से 14 हमले विधानसभा चुनाव से जुड़े हुए थे.
2004 के बाद चुनाव का बदल गया था तरीका, 2024 में फिर बदल गया माहौल
2004 में चुनाव के दौरान हुए नक्सली हमले के बाद चुनाव के पूरे तरीके बदल गए थे. मतदान केंद्रों पर पोलिंग पार्टी एवं सुरक्षाबल पैदल जाने लगे थे जबकि कई मतदान केंद्रों पर हेलीकॉप्टर से मतदान कर्मियों को भेजने का कार्य शुरू हुआ. पलामू प्रमंडल के चक, महूदण्ड, गढ़वा के बूढापहाड़, लातेहार के सरयू, बालूमाथ, महुआडांड़, गारू के कई इलाके में मतदान कर्मियों को हेलीकॉप्टर से भेजा जाता था.
2024 के विधानसभा चुनाव में पलामू के मात्र नौ विधानसभा सीटों के लिए हेलीकॉप्टर से मतदान कर्मियों को भेजा गया. यह सभी मतदान केंद्र बूढ़ापहाड़ के इलाके में मौजूद थे. पलामू के चक, महूदण्ड के इलाके में पहली बार रोड से सफर तय करते हुए मतदान केंद्र तक गई थी.
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