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बिहार में बाढ़ के कारण बढ़ी परेशानी, बोले मंत्री- 2004 के बाद नेपाल से आया रिकॉर्ड पानी - BIHAR FLOOD

Bihar Rivers Water Level: नेपाल में भारी बारिश और बिहार में भी मानसून की सक्रियता का असर नदियों के जलस्तर पर साफ दिख रहा है. कई इलाकों में बाढ़ का पानी फैल चुका है. दियारा इलाका पूरी तरह से डूबने लगा है. सरकार के मुताबिक वर्ष 2004 के बाद नेपाल से रिकॉर्ड पानी छोड़ा गया है, जिस वजह से कई जिलों में बाढ़ ने तबाही मचाना शुरू कर दिया है.

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बिहार की नदियों का जलस्तर बढ़ा (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 9, 2024, 11:58 AM IST

Updated : Jul 9, 2024, 12:26 PM IST

जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी (ETV Bharat)

पटना:बिहार में बाढ़से हाहाकार मचने लगा है. पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, मधुबनी और कोसी-सीमांचल के कई जिलों में स्थिति चिंताजनक है. केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा, परमान जैसी नदियां कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया और अधिकारियों को जरूरी सहायता का निर्देश दिया. वहीं, बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी का कहना है कि साल 2004 के बाद नेपाल क्षेत्र में इस बार सबसे अधिक बारिश हुई है और उसके कारण ही परेशानी बढ़ रही है.

बाढ़ के कारण बढ़ी परेशानी (ETV Bharat)

2004 के बाद नेपाल से रिकॉर्ड पानी डिस्चार्ज: नेपाल में जब भी बारिश होती है, तब बिहार की मुश्किलें बढ़ जाती है. पूर्व जल संसाधन मंत्री संजय झा से लेकर वर्तमान मंत्री विजय कुमार चौधरी का भी कहना है कि पिछले चार-पांच दिनों में नेपाल में भारी बारिश हुई है. इस वजह से कोसी बराज में 3:65 लाख क्यूसेक के करीब और गंडक बराज में चार लाख 40 लाख क्यूसेक रिकॉर्ड पानी आ गया है, जो पिछले 15 सालों में नहीं आया था.

गंडक बराज का निरीक्षण करते नीतीश कुमार (ETV Bharat)

"2004 के बाद इतना पानी नेपाल से नहीं आया था लेकिन स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है. हमारे तटबंधों पर दबाव जरूर पड़ा लेकिन अब पानी घटा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी हवाई सर्वेक्षण किया और स्थिति की समीक्षा की है. स्थिति पर पूरी तरह से नजर है."- विजय कुमार चौधरी, जल संसाधन मंत्री, बिहार

नदियों का जलस्तर बढ़ा:केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंडक नदी गोपालगंज जिले के डुमरिया घाट में खतरे के निशान से 106 सेंटीमीटर ऊपर है. वहीं बागमती नदी मुजफ्फरपुर जिले के रुन्नीसैदपुर में खतरे के निशान से 52 सेंटीमीटर ऊपर है. बागमती नदी बेनीबाद में 89 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. कोसी नदी खगड़िया जिले के बलतारा में खतरे के निशान से 50 सेंटीमीटर ऊपर है. महानंदा नदी किशनगंज जिले के तैयबपुर में खतरे के निशान से 50 सेंटीमीटर ऊपर है. महानंदा नदी पूर्णिया जिले के ढेंगरा घाट में 96 सेंटीमीटर ऊपर है, इसमें और वृद्धि होने की संभावना है. वहीं कटिहार जिले के झावा में महानंदा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. परमान नदी अररिया में खतरे के निशान से 30 सेंटीमीटर ऊपर है.

सड़क तक पहुंचा नदियों का पानी (ETV Bharat)

गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे:एक तरफ जहां ज्यादातर नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, वहीं गंगा का जलस्तर सभी स्थानों पर अभी खतरे के निशान से काफी नीचे है. बाढ़ के कारण उत्तर बिहार के लोगों की मुश्किलें बढ़ी हुई है. बड़ी संख्या में लोग निचले इलाके से पलायन भी कर रहे हैं. हालाांकि जल संसाधन विभाग की ओर से तटबंधों पर कड़ी नजर रखी जा रही है.

हर साल बाढ़ से बिहार में तबाही: बिहार में बाढ़ से हर साल भारी तबाही मचती है. 1979 से अब तक के इतिहास को देखें तो जल प्रलय में बिहार के अब तक 9000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 30000 मवेशियों की भी जान गई है. वहीं, 8 करोड़ हेक्टेयर में अधिक फसल को भी नुकसान हुआ है और कुल नुकसान देखें तो यह 9000 करोड़ से 10000 करोड़ तक का आकलन किया गया है.

ETV Bharat GFX (ETV Bharat GFX)

किस साल कितना नुकसान?: साल1987 में 30 जिले के 24518 गांव प्रभावित हुए थे. 1399 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 678 करोड़ की फसल तबाह हो गई थी. 2000 में 33 जिले के 12000 गांव प्रभावित हुए और 336 लोगों की मौत हुई थी. 2002 में 25 जिले में 8318 गांव प्रभावित. 489 लोगों की मौत और 511 करोड़ से अधिक की फसल बर्बाद हुई थी. 2004 में 20 जिले के 9346 गांव के 2 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे. 885 मौतें हुईं थीं और 522 करोड़ की फसल को नुकसान पहुंचा था.

गांव में घुसा बाढ़ का पानी (ETV Bharat)

2007 की बाढ़ से भारी तबाही:वहीं, साल 2007 की बाढ़ को संयुक्त राष्ट्र ने इतिहास का सबसे खराब बाढ़ बताया था. उस साल 22 जिले में 2.4 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे और 1287 लोगों की मौत हो गई थी. 2008 में 18 जिले के 50 लाख लोग प्रभावित हुए थे, जबकि 258 मौतें हुईं थीं. 2011 में 25 जिले में 71 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे और 249 लोगों की जान गई. 2013 में 20 जिले के 50 लाख लोग प्रभावित और 200 लोगों की मौत हुई. 2016 में 31 जिले के 46 लाख लोग प्रभावित हुए, जबकि 240 से अधिक मौतें हुईं. वहीं, 2019 में 16 जिले के 8 लाख से अधिक आबादी प्रभावित हुई और 727 लोगों ने जान गंवाई.

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Last Updated : Jul 9, 2024, 12:26 PM IST

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