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एम्स ऋषिकेश में दी जा रही खास ट्रेनिंग, ट्रामा मरीजों के लिए साबित होंगे मददगार, लोगों की बचाएंगे जान - फर्स्ट रिस्पांडर ट्रेनर

AIIMS Rishikesh First Responder Training उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में 50 फर्स्ट रिस्पांडर ट्रेनर तैयार करने की कवायद की जा रही है. जो किसी हादसे के वक्त ट्रामा मरीजों को सुरक्षित अस्पताल तक पहुंचाने का काम करेंगे. ताकि, डेथ रेट को कम किया जा सके. इसी कड़ी में एम्स ऋषिकेश में खास ट्रेनिंग दी जा रही है.

AIIMS Rishikesh
एम्स ऋषिकेश में ट्रेनिंग

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 26, 2024, 8:19 PM IST

ऋषिकेश:अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश (AIIMS Rishikesh) और सड़क ट्रांसपोर्ट विभाग की संयुक्त पहल पर सभी 13 जिलों में फर्स्ट रिस्पांडर ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किया गया. जिसमें पहले और दूसरे चरण में 50-50 लोगों के बैच को प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण ले चुके ये लोग सड़क हादसों की स्थिति में ट्रामा पेशेंट्स के लिए मददगार साबित होंगे.

एम्स ऋषिकेश के ट्रामा सर्जन के अनुसार, आने वाले समय उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में 50 फर्स्ट रिस्पांडर ट्रेनर तैयार किए जाएंगे. जो किसी भी दुर्घटना की स्थिति में ट्रामा मरीजों को सुरक्षित अस्पताल तक पहुंचाने और ऐसी घटनाओं में डेथ रेट को कम करने में सहायक बनेंगे.

एम्स ऋषिकेश में ट्रेनिंग

इसी कड़ी में तीसरे चरण की प्रशिक्षण कार्यशाला भी संपन्न हुई. जिसमें इंस्टीट्यूट ऑफ हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट एंड साइंसेज (आईएचएमएस) कोटद्वार के शिक्षक और छात्र-छात्राएं शामिल हुए. कार्यशाला में सीपीआर, मेडिकल इमरजेंसी, जलने या किसी भी प्रकार की गंभीर चोट आने पर प्राथमिक उपचार देने और कृत्रिम उपकरणों के सहायता से मदद आदि का प्रशिक्षण दिया गया.

वहीं, विशेषज्ञों ने बताया कि दुर्घटना के मामले में पहले 3 घंटे बेहद महत्वपूर्ण होते हैं. जिसमें सबसे ज्यादा 80 फीसदी डेथ होती है. लिहाजा, इस डेथ रेट को प्रशिक्षण के बाद कम किया जा सकता है. पहाड़ी क्षेत्रों में आए दिन सड़क हादसे होते हैं. जिसमें कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं. लिहाजा, इस ट्रेनिंग का उद्देश्य सड़क हादसों की रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक करना है.

कोटद्वार के छात्रों ने लिया प्रशिक्षण

इसके अलावा किसी भी आपात स्थिति या हादसों के वक्त पीड़ित को प्राथमिक उपचार देना और इलाज के लिए सुरक्षित अस्पताल तक पहुंचाने में सहायक बनाना है. वहीं, छात्र-छात्राओं ने बारीकी से अहम जानकारियां हासिल की. साथ ही प्रशिक्षण में सीखे गुर को आपात स्थिति में लोगों की मदद करने की बात कही.

"एम्स ऋषिकेश और रोड ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के साथ मिलकर नई पहल शुरू की गई है. पहल के तहत कोशिश की जा रही है कि ट्रॉमा मामलों में मृत्यु दर को कम किया जाए. जिसमें लोग भी अपना योगदान दे सकें. जिसमें ये ट्रेनर मददगार साबित होंगे." - प्रोफेसर मीनू सिंह, कार्यकारी निदेशक, एम्स ऋषिकेश

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