कासगंज/पीलीभीतःजिले की अधिवक्ता मोहिनी तोमर हत्याकांड में पुलिस ने 6 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. नदरई गेट के माधोपुरी कालोनी की रहने वाली महिला वकील मोहिनी तोमर जिला एवं सत्र न्यायालय कासगंज से मंगलवार को लापता हो गईं थी. जिसके बाद महिला वकील का शव हजारा नहर में मिला था. इस मामले में शुक्रवार मोहिनी के पति ब्रजतेंद्र तोमर ने चंदन गुप्ता हत्याकांड के आरोपी वकील मुनाजिर रफी सहित 6 वकीलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. वहीं, इस हत्याकांड को लेकर प्रदेश के विभिन्न जिलों में अधिवक्ता विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी कड़ी में पीलीभीत में वकीलों ने सड़क प्रदर्शन करते हुए हाईवे पर जाम लगा दिया.
ब्रजतेंद्र तोमर ने थाने में पुलिस को दी तहरीर में बताया है कि 3 सितंबर मंगलवार को सुबह अपनी पत्नी अधिवक्ता मोहिनी तोमर को कार से न्यायालय के गेट के बाहर छोड़ कर कासगंज चला गया था. तभी वकील मुस्तफा कामिल, असद मुस्तफा, हैदर मुस्तफा, सलमान, मुनाजिर रफी, केशव मिश्रा ने योजनाबद्ध तरीके से उसकी मोहिनी तोमर को किसी व्यक्ति के माध्यम से न्यायालय में मुख्य गेट के बाहर बुलाकर उनका अपहरण कर लिया. इसके बाद अज्ञात स्थान पर ले जाकर हत्या करवा दी.
वादी ब्रजतेंद्र तोमर ने पत्नी मोहिनी तोमर पिछले 20-25 दिन से बहुत परेशान रहती थी. बार-बार पूछने पर उसने बताया कि उसने कोर्ट में मुस्तफा कामिल के लड़कों की जमानत का विरोध किया था. तभी से आरोपी गंभीर परिणाम भुगत लेने की धमकी दे रहे थे. पत्नी ने बताया था कि उसके साथ कोई भी घटना घट सकती है. 2018 में मोहिनी तोमर ने कासगंज में चंदन गुप्ता हत्याकांड के आरोपी मुनाजिर रफी की जमानत का विरोध भी किया था. पुलिस ने 6 आरोपियों पर एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है.
सपा सांसद ने हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग की
एटा लोकसभा से समाजवादी पार्टी के सांसद देवेश शाक्य ने अधिवक्ता मोहिनी तोमर हत्याकांड में पुलिस प्रशासन के ढुलमुल रवैये की जबरदस्त आलोचना की. सपा सांसद न्यायालय में पहुंचे और अधिवक्ताओं से मुलाकात की. साथ ही इस हत्याकांड की सीबीआई जांच कराने की मांग की. सांसद ने कहा कि शासन प्रशासन से कई बार अपने लिए सुरक्षा की मांग कर चुका हूं. लेकिन मेरे प्रोटोकॉल को भी जिला प्रशासन के द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा है. जब शासन-प्रशासन सांसद को सुरक्षा मुहैया नहीं करा पा रहा है. एक तेज तर्रार वकील की हत्या कर दी जाती है, प्रशासन उनको नहीं बचा पा रहा है. ऐसे में शासन प्रशासन से निष्पक्ष जांच की उम्मीद करना ही बेमानी है. इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की सरकार से मांग की है. अधिवक्ता मोहिनी तोमर के परिवार में किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी और एक करोड़ रुपए का पीड़ित परिवार को दे.