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उत्तर भारत में इस साल स्वाइन फ्लू का H1N1 स्ट्रेन फैलने की आशंका, यूपी में मार्च में बढ़ सकती है मरीजों की संख्या - यूपी में स्वाइन फ्लू

उत्तर भारत में इस साल स्वाइन फ्लू का H1N1 स्ट्रेन फैलने की आशंका है. यूपी में मार्च में इंफेक्शन का प्रसार अधिक हो सकता है. यह लखनऊ एसजीपीजीआई के असिस्टेंट प्रोफेसर अतुल गर्ग का मानना है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 9, 2024, 8:07 PM IST

जानकारी देते असिस्टेंट प्रोफेसर अतुल गर्ग

आगरा: उत्तर भारत में स्वाइन फ्लू दस्तक दे चुका है. यूपी की राजधानी लखनऊ के साथ ही कई जिलों में स्वाइन फ्लू के मरीज मिले हैं. इस बार मार्च में स्वाइन फ्लू (H1N1) वायरस तेजी से फैल सकता है. जबकि, पिछली साल स्वाइन फ्लू का H2N3 आया था. ये लखनऊ एसजीपीजीआई से आगरा आए असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अतुल गर्ग का कहना है.

ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अतुल गर्ग बताया कि, नॉर्थ इंडिया में 15 फरवरी से 30 मार्च तक स्वाइन फ्लू का संक्रमण तेजी से फैलने की आशंका है. इसके बाद जैसे-जैसे टेंपरेचर बढ़ेगा. वैसे ही स्वाइन फ्लू खत्म हो जाएगा. फिर, सितंबर 2024 के बाद फिर स्वाइन फ्लू आएगा. यह लगातार कई सालों से इसी तरह का स्वाइन फ्लू ग्राफ चल रहा है.

उत्तर भारत में 15 फरवरी से 31 मार्च तक फैलता है स्वाइन फ्लू

आगरा में इंडियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट की ओर से दो दिवसीय कार्यशाला एसएन मेडिकल काॅलेज में आयोजित हो रही है. इसमें उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के देश के मशहूर माइक्रोबायोलॉजिस्ट शामिल होने आए हैं.

लखनऊ में छह लोगों में स्वाइन फ्लू संक्रमण मिला: लखनऊ से आए एसजीपीजीआइ के असिस्टेंट प्रोफेसर अतुल गर्ग ने बताया कि, हर साल वायरल संक्रमण की एडवाइजरी जारी होती है. उत्तर भारत की बात करें तो हर साल मौसम में बदलाव के समय 15 फरवरी से 31 मार्च तक तक और सितंबर से लेकर अक्टूबर तक स्वाइन फ्लू का संक्रमण फैलता है. इस साल भी उत्तर भारत में स्वाइन फ्लू का संक्रमण दस्तक दे चुका हैं. लखनऊ में छह लोगों में स्वाइन फ्लू संक्रमण की पुष्टि हुई है. अन्य जिलों में भी स्वाइन फ्लू के मरीजों की स्क्रीनिंग की जा रही है.

सन 2009 में फैला था एच1एन1 स्ट्रेन: प्रोफेसर अतुल गर्ग ने बताया कि, स्वाइन फ्लू का हर साल स्ट्रेन बदल रहा है. सन 2023 की बात करें तो स्वाइन फ्लू एच3एन2 स्ट्रेन था. इस साल भी स्वाइन फ्लू का स्ट्रेन बदल गया है. क्योंकि, अभी तक जो छह स्वाइन फ्लू के मरीज मिले हैं. उनमें एच1एन1 स्ट्रेन मिला है. ये ही सन 2009 में पफैला था. जो ज्यादा खतरनाक नहीं है.

हर साल वैक्सीन में बदलाव: असिस्टेंट प्रोफेसर अतुल गर्ग ने बताया कि, हर साल स्वाइन फ्लू का स्ट्रेन बदलने की वजह से ही स्वाइन फ्लू की वैक्सीन में भी हर साल बदलाव किया जाता है. वैक्सीन लगवाने से स्वाइन फ्लू की चपेट में आने का खतरा कम रहता है. स्वाइन फ्लू से बचने के लिए बुजुर्ग, गंभीर बीमारी के मरीज, बच्चों के साथ ही इम्युनिटी कमजोर होने वाले लोगों को वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए.

टेमी फ्लू बेहद कारगर दवा: अतुल गर्ग ने कहा कि जैसे जैसे समय बढ रहा है. वैसे ही स्वाइन फ्लू की घातकता कम हुई है. इस बीमारी में सबसे कारगर दवा टेमी फ्लू है. इसलिए, घबराए नहीं. अभी जिस स्वाइन फ्लू का संक्रमण फैलने की आशंका है. वो मार्च में पीक पर हो सकता है. फिर, अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक स्वाइन फ्लू का संक्रमण खत्म हो जाएगा. क्योंकि, तापमान बढते ही ये वायरस कम चपेट में लेता है.

ये मरीज रखें अपना ख्याल:अतुल गर्ग ने बताया कि, भले ही स्वाइन फ्लू का संक्रमण घातक नहीं हैं. लेकिन, जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है. इसमें जो लोग मोटापा से ग्रसित हैं. मधुमेह, कैंसर और एचआइवी के मरीज हैं. उनकी परेशानी बढ सकती है. इसके साथ ही इससे बचाव के लिए गर्भवती महिलाएं व किसी भी अंग का ट्रांसप्लांट करा चुके मरीजों को अपना विशेष ख्याल रखना चाहिए.

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