फरीदाबाद : हरियाणा के फरीदाबाद में इंसानियत उस वक्त शर्मसार हो गई, जब एक पिता को अपनी 7 साल की मृतक बेटी के शव को लेकर ऑटो की तलाश में कई घंटे तक भटकना पड़ा, लेकिन उसे अस्पताल से फ्री एंबुलेंस की सुविधा नहीं दी गई. अस्पताल के स्टाफ ने मौत के बाद पिता को फ्री एंबुलेंस सुविधा के बारे में जानकारी तक देना जरूरी नहीं समझा और ना ही वहां मौजूद सिक्योरिटी गार्ड समेत किसी डॉक्टर ने उन्हें एंबुलेंस मुहैया कराना जरूरी समझा.नतीजतन पिता को घंटों की मशक्कत के बाद एक ऑटो के जरिए बेटी की डेड बॉडी को घर ले जाना पड़ा.
ऑटो के लिए भटकता रहा पिता :जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल यानि बादशाह खान सिविल अस्पताल में पंकज नाम का एक शख्स अपनी बेटी को अस्पताल में दिखाने के लिए लेकर आया था. पंकज जब बेटी को अस्पताल लेकर पहुंचा, तो डॉक्टरों ने जांच के बाद बेटी को मृत घोषित कर दिया और फिर तमाम कागजी कार्रवाई करने के बाद डेड बॉडी को पंकज के हवाले कर दिया. लेकिन इस दौरान अस्पताल के स्टाफ या किसी डॉक्टर ने गरीब पंकज को ये तक बताना जरूरी नहीं समझा कि डेड बॉडी को अस्पताल से घर ले जाने के लिए फ्री एंबुलेंस का इंतज़ाम रहता है. बेटी के शव को हाथ में उठाकर पिता अस्पताल के गलियारों से गुजरते हुए बाहर आया और फिर बेटी की डेड बॉडी को घर ले जाने के लिए ऑटो की तलाश में भटकता हुआ नज़र आया लेकिन तब भी अस्पताल के गार्ड समेत किसी ने एक बार उसकी ओर पलटकर नहीं देखा या पूछा कि क्या परेशानी है. अस्पताल से एंबुलेंस सुविधा घर के लिए मिलेगी, ये तक किसी ने नहीं बताया. आखिरकार घंटों की मशक्कत के बाद पिता अपनी बेटी की लाश को हाथों में उठाकर रोते-बिलखते हुए ऑटो में सवार हो कर घर पहुंचा.
अब दिया जा रहा कार्रवाई का भरोसा :वहीं जब इस मामले में अस्पताल के पीएमओ डॉक्टर विकास गोयल से बात की गई तो उन्होंने भी माना कि अस्पताल के स्टाफ को मृतक बच्ची के परिजनों को शव ले जाने के लिए फ्री शव वाहन (एम्बुलेंस) मिलने की जानकारी देनी चाहिए थी. अगर ये जानकारी दी गई होती तो पिता को ऐसे भटकना नहीं पड़ता. अब उन्होंने इस मामले में जानकारी लेकर उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है.