चंडीगढ़: हरियाणा के वन एवं पर्यावरण मंत्री राव नरबीर सिंह ने कहा है कि सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला अरावली हरियाणा की शान है. हरियाणा सहित दिल्ली, राजस्थान और गुजरात के 1.15 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में ये फैली हुई है. इसमें पर्यावरण संतुलन को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहल की है, जो 'मिशन लाइव' और 'एक पेड़ मां के नाम' कार्यक्रम है, जिनसे लोग बड़ी संख्या में पर्यावरण से जुड़े है.
इस कड़ी में हरियाणा ने अरावली क्षेत्र में हरियाली को बढ़ाने के लिए सऊदी अरब की तर्ज पर अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट की रूपरेखा तैयार की है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव कल 6 फरवरी को इस परियोजना का शुभारंभ करेंगे.
सऊदी अरब में विकसित है हरित पट्टियां : राव नरबीर सिंह ने कहा कि सऊदी अरब एक रेगिस्तानी देश है, लेकिन वहां पर हरित पट्टियां विकसित कर हरियाली को बड़े आकर्षण ढंग से बढ़ाया है. इसी को देखते हुए भारत सरकार ने हरियाणा को अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी हैं. वे स्वंय ग्रीन वाल प्रोजेक्ट का अवलोकन करने के लिए सऊदी अरब का दौरा कर चुके हैं.
जल्द जाएंगे नागपुर और गुजरात : उन्होंने कहा कि शीघ्र ही वे नागपुर (महाराष्ट्र) के गोरेवाड़ा वन्यजीव सफारी और जाम नगर, गुजरात के वनतारा परियोजना का अध्ययन करने के लिए 7 फरवरी से चार दिवसीय अध्ययन दौरे पर जाएंगे.
ग्रीन वॉल परियोजना क्या है ? : उन्होंने कहा कि अरावली ग्रीन वॉल परियोजना के तहत हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली सहित चार राज्यों में 1.15 मिलियन हेक्टेयर से अधिक भूमि का सुधार बहु-राज्य सहयोग का एक अनुकरणीय मॉडल प्रदर्शित करना है. वनों की स्वदेशी प्रजातियों के साथ वनरोपण, जैव विविधता संरक्षण, मृदा स्वास्थ्य में सुधार को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना भी है.
अरावली में जंगल सफारी को भी दिया जाएगा बढ़ावा : उन्होंने कहा कि अरावली क्षेत्र में ग्रीन वाल प्रोजेक्ट के साथ-साथ इस पर्वत श्रृंखला में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए जंगल सफारी परियोजना के प्रस्ताव पर भी हम आगे बढ़ रहे हैं.
हरियाणा में वन मित्र लगातार मिशन पर : उन्होंने कहा कि इस परियोजना से अरावली क्षेत्र में स्थानीय लोगों के लिए हरित रोजगार के अवसर सृजित होंगे. साथ ही जैव विविधता संरक्षण और पर्यावरण अनुकूल संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि हरियाणा में युवा पीढ़ी को इस नेक कार्य के प्रति जागरूक करने और उनके आजीविका के साधन बढ़ाने के लिए राज्य में वन मित्रों की नियुक्ति की गई है, जो स्थानीय लोगों को वनों से जोड़ रहे हैं.
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