फर्रुखाबाद : जिले में आलू की भरपूर पैदावार होती है. यहां खास किस्म के आलू की खेती भी की जाती है. 500 साल से फुलवा आलू की खेती होती चली आ रही है. इसका स्वाद काफी बेहतर होता है. दूसरी प्रजाति के आलू की तुलना में इस प्रजाति के दाम ज्यादा होते हैं. जिले में पिछले वर्ष 43200 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू का पैदावार हुई थी. इसमें औसत 300 से 400 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन हुआ था. इस वर्ष भी एरिया करीब वही है. हालांकि इस बार उत्पादन कम होने के आसार हैं. वजह ये है कि जिस वक्त आलू की कंद बनती है, उस वक्त तापमान ज्यादा था. इससे उत्पादन 10 से 15% तक गिरावट आएगी.
500 साल से हो रही फुलवा आलू की खेती :आलू के बगैर सब्जी की रंगत फीकी रहती है. आलू के चिप्स, नमकीन आदि बड़ों से लेकर बच्चों को भी काफी पसंद आते हैं. आलू की कई प्रजातियां हैं. जिले में बड़े पैमाने पर इनकी खेती की जाती है. आलू की सबसे प्राचीन प्रजाति फुलवा को माना जाता है. इसका जलवा आज भी कायम है. इसका स्वाद काफी बेहतर होता है. सामान्य आलू से इसकी कीमत ज्यादा होती है. होली पर स्वादिष्ट पापड़ आदि बनाने में बहुत ज्यादा इनका इस्तेमाल किया जाता है. यह आलू दूसरे राज्यों में भी भेजा जाता है. जानकार बताते हैं कि करीब 500 वर्ष पुरानी नॉन हाइब्रिड आलू फुलवा की फसल डेढ़ सौ दिनों में होती है. फुटकर बाजार में सामान्य आलू 10 रुपए प्रति किलो है. जबकि फुलवा 15 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. फुलवा प्रजाति की आलू में शुगर की मात्रा कम रहती है. इसलिए यह सेहत के लिए भी फायदेमंद है.