लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि और संबंधित क्षेत्र का योगदान साल 2023-24 में 5.98 लाख करोड़ रुपये का रहा. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में यह बढ़कर करीब 7.24 लाख करोड़ हो जाएगा. यह उत्तर प्रदेश की कुल जीडीपी का करीब एक चौथाई है. ये आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र की क्या अहमियत है. राज्य सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक, प्रदेश की एक ट्रिलियन की इकोनॉमी में कृषि क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी. कृषि क्षेत्र की बेहतरी के लिए योगी सरकार हर संभव कदम उठा रही है. बीज से लेकर बाजार तक हर कदम पर किसानों के साथ है.
खेतीबाड़ी को रफ्तार देने के लिए जरूरी बुनियादी संरचना (एक्सप्रेस वे, राष्ट्रीय राजमार्ग, देश का इकलौता जलमार्ग) तैयार है. राज्य सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक, सरकार एक ही फसल के अलग-अलग जिलों में न्यूनतम और अधिकतम पैदावार की वजह तलाश रही है. यही नहीं जिन फसलों का उत्पादन राष्ट्रीय औसत से कम है उसे राष्ट्रीय औसत पर लाने और जिन फसलों का उत्पादन राष्ट्रीय औसत के बराबर या अधिक है, उनका उत्पादन सर्वोत्तम उत्पादन करने वाले प्रदेश स्तर तक ले जाने का प्रयास कर रही है. अपेक्षाकृत कम उत्पादन वाले बुंदेलखंड और पूर्वांचल को फोकस कर विश्व बैंक के सहयोग से चलाई जाने वाली यूपी एग्रीज योजना का यही मकसद है. योजना की अवधि छह साल की और लागत चार हजार करोड़ रुपये है. उम्मीद है कि इससे संबंधित जिलों की उत्पादकता में करीब 30% की बढ़ोतरी हो जाएगी.
बीज पार्क योजना, हॉर्टिकल्चर के लिए ,'वन ब्लॉक वन क्राप', दुग्ध समीतियों का पुनर्गठन, मत्स्य विभाग में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी की महानिदेशक के रूप में तैनाती, खेतीबाड़ी में तकनीकी के प्रयोग पर सरकार का खास फोकस है. इस सबके प्रचार-प्रसार के लिए प्रदेश के पांच कृषि विश्वविद्यालय, अलग-अलग विश्वविद्यालय से संबद्ध 89 कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) तो हैं ही, इनके अलावा हर रबी और खरीफ के सीजन के पहले न्याय पंचायत स्तर पर आयोजित होने वाले 'द मिलियन फार्मर्स स्कूल', मंडल और जिले स्तर पर होने वाली गोष्ठियां और किसान मेले भी किसानों के लिए मददगार हो रहे हैं. सरकार गोंडा में कृषि महाविद्यालय, कुशीनगर में कृषि विश्वविद्यालय, भदोही और गोरखपुर में पशु चिकित्सा महाविद्यालय का भी निर्माण करवा रही है.