करनाल:संयुक्त किसान मोर्चा एवं रेड यूनियन के आह्वान पर पूरे देश में प्रदर्शन आज किया गया है. प्रदर्शन का असर करनाल जिले में भी देखने को मिला है. जहां पर सैकड़ों की संख्या में सामाजिक और अन्य संगठनों के द्वारा कर्मचारियों ने मिलकर प्रदर्शन किया है. करनाल में यह प्रदर्शन सभी ने इकट्ठा होकर महात्मा गांधी चौक से लघु सचिवालय तक किया और वहां पर जिला प्रशासन को जाकर अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन पत्र सौंपा है.
किसानों का विरोध दिवस: कर्मचारी नेता सुशील गुर्जर ने कहा कि हम किसान और मजदूर अपने मुद्दों को उजागर करने और समाधान की मांग के लिए आज पूरे भारत में संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने कहा हमने 26 नवंबर को लामबंदी के माध्यम से विरोध दिवस के रूप में चुना है. क्योंकि यही वह दिन है जब ट्रेड यूनियनों ने मजदूर विरोधी चार श्रम कोडों के विरोध में राष्ट्रव्यापी हड़ताल की थी.
किसानों ने 2020 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ संसद की ओर अपना ऐतिहासिक मार्च शुरू किया था. किसानों के लंबे संघर्ष के बाद कृषि कानून वापस लिए जाने पर किसानों से किए गए वादे आज तक पूरे नहीं हुए हैं. उन्होंने राष्ट्रपति के नाम के ज्ञापन पत्र में लिखा कि हम नीचे उल्लिखित दयनीय स्थिति के बारे में आपके सामने कुछ तथ्य रखना चाहते हैं और आपका हस्तक्षेप चाहते हैं.
कितनी बढ़ी राष्ट्रीय धान एमएसपी: भारत के मेहनतकश लोग एनडीए सरकार की कॉरपोरेट्स और सुपर रिच को समृद्ध बनाने वाली नीतियों के कारण शहरे संकट का सामना कर रहे हैं. जबकि खेतों की लागत और मुद्रास्फीति हर साल 12-15 प्रतिशत से अधिक बढ़ रही है. जबकि सरकार एमएसपी में केवल 2 से 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर रही है. इसने राष्ट्रीय धान एमएसपी को केवल 5.35 प्रतिशत बढ़ाकर 2024-25 में 2300 रु. प्रति क्विंटल, बिना सी-2+50 प्रतिशत फार्मूला लागू किया और खरीद की कोई गारंटी नहीं है.