जयपुर.जमीन समाधि सत्याग्रह के लिए जाना जाने वाले नींदड़ गांव के किसानों ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जेडीए की आवासीय कॉलोनी में भूमि अवाप्ति को लेकर 2010 से संघर्ष कर रहे किसानों ने अब तक कोई हल नहीं निकलने के चलते रविवार को किसान पंचायत की और किसानों से उन्हीं की जमीन छीनने का विरोध दर्ज कराते हुए सरकार को उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.
विद्याधर नगर विधानसभा क्षेत्र के नींदड़ गांव में आज किसानों की महापंचायत हो रही है. दरअसल, यहां 1350 बीघा जमीन पर जयपुर विकास प्राधिकरण प्राइवेट कॉलोनी बसाने के लिए जमीन अधिग्रहण कर रही है. हाल ही में 22 नवंबर 2024 को जयपुर विकास प्राधिकरण पुलिस प्रशासन के साथ दोबारा कार्रवाई करने के लिए आया उसके विरोध में किसान और कॉलोनी वासियों ने फिर विरोध करते हुए अनिश्चितकालीन धरने पर जा बैठे. लेकिन अब तक जयपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारी या राजस्थान सरकार के नुमाइंदों ने संपर्क तक नहीं किया. ऐसे में आज नींदड़ में किसान पंचायत सजी जिसमें हजारों किसानों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं नींदड़ बचाओ युवा किसान संघर्ष समिति के डॉ. नगेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जेडीए नियमों को ताक पर रखकर काम कर रहा है जो बर्दाश्त के बाहर है. किसान मुआवजा नहीं चाहते ब्लकि इस स्कीम को ही रद्द कराना चाहते हैं. किसानों ने चेतावनी दी कि प्रशासन जबरन भूमि अवाप्ति करने पर आमादा होगी तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.
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बता दें कि यहां नींदड़ के किसान 2010 से विरोध करते आ रहे हैं. 2017 में जमीन समाधि सत्याग्रह भी किया गया. उस वक्त बीजेपी सरकार ने किसानों के साथ समझौता किया था. लेकिन समझौते को तोड़ दिया गया और जबरन कब्जा करने के लिए पुलिस प्रशासन के साथ जयपुर विकास प्राधिकरण नींदड़ जा पहुंचा. जब इसका किसानों ने विरोध किया तो लाठीचार्ज किया गया. उसके बाद कुछ किसानों को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया. उसके बाद फिर 2020 में आंदोलन शुरू किया गया. तब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भी समझौता किया और एम पावर्ड कमेटी का गठन किया गया. लेकिन एम पावर्ड कमेटी का गठन करने के बाद किसानों से कोई बातचीत नहीं की गई और अब जयपुर विकास प्राधिकरण पुलिस प्रशासन के साथ दोबारा कार्रवाई करने जा रहा है.
नींदड़ बचाओ युवा किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष कैलाश बोहरा ने चेतावनी देते हुए कहा कि 2 महीने में सरकार नींदड़ की जमीन को अवाप्ति से मुक्त नहीं करती तो किसानों की महापंचायत करेंगे.
किसान पंचायत के प्रस्ताव
- किसानों को उनकी कृषि भूमि का मालिकाना हक दिया जाए.
- पिछले 270 वर्षों से किसानों के शोषण और उनकी जमीन की सरकारी लूट के प्रतिरूप भूमि अवाप्ति के कानूनों को समाप्त किया जाए.
- जयपुर विकास प्राधिकारण जैसे भ्रष्टाचार के पर्याय बन चुके विभागों को बंद किया जाए.
- आजादी के बाद जिन-जिन किसानों की जमीनों की लूट सरकारों ने की है, उन सभी किसान परिवारों का आर्थिक सामाजिक सर्वेक्षण हो. सरकार की ओर से उन्हें आर्थिक सहायता दी जाए.
- देश के सभी किसानों की मांगों का जल्द निस्तारण किया जाए.