रांची: हाल के वर्षों में राजनीति में परिवारवाद का बोलबाला तेजी से बढ़ा है. एक समय था जब नेहरू परिवार पर परिवारवाद का आरोप लगता था लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब हर राजनेता और पार्टी भाई-भतीजावाद को स्वीकार करने लगे हैं. कांग्रेस में भाई-भतीजावाद की आलोचना करने वाली बीजेपी पर भी हाल के वर्षों में इसके प्रति लचीला रुख अपनाने का आरोप लगे हैं, जिसके चलते बीजेपी में भी ऐसे कई उदाहरण मिल सकते हैं जो अपने पिता की विरासत को संभालने के लिए चुनावी मैदान में उतरे हैं.
लोकसभा के बाद अब झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में टिकट पाने की होड़ मची हुई है. रांची से लेकर दिल्ली तक हर कोई अपना-अपना इंतजाम करने में लगा हुआ है. ऐसे में कुछ वरीय नेताओं का नाम इन दिनों चर्चा में हैं. ये ऐसे नेता है जो अपनी जगह अपने बच्चों या परिवार के अन्य सदस्यों को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं.
झारखंड विधानसभा चुनाव में एक बार फिर परिवारवाद हावी रहेगा. हर पार्टी से बड़ी संख्या में राजनेताओं के बेटे, बेटियों, पत्नियों या बहुओं को मैदान में उतारने की तैयारी हो रही है. हाल ही में भाजपा में शामिल हुए पूर्व सीएम चंपाई सोरेन अपने बेटे बाबूलाल सोरेन के साथ चुनाव लड़ने जा रहे हैं. इसी तरह एनसीपी के पूर्व मंत्री कमलेश सिंह अपने बेटे सूर्या सिंह को मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं. झामुमो विधायक स्टीफन मरांडी अपनी बेटी उपासना मरांडी को महेशपुर सीट से चुनाव लड़ाना चाहते हैं. खास बात यह है कि इस तरह की प्रथा का सभी राजनीतिक दल समर्थन करते हैं.
नेता और उनके संभावित परिवार के दावेदार
- चंपाई सोरेन - पुत्र बाबूलाल सोरेन (बाबूलाल सोरेन का कोल्हान से सीट)
- रामेश्वर उरांव - पुत्र रोहित उरांव (लोहरदगा सीट)
- सांसद सुखदेव भगत - पुत्र अभिनव भगत (यूथ कांग्रेस)
- सीता सोरेन - पुत्री जयश्री सोरेन
- ढुल्लू महतो - पत्नी सावित्री देवी या पुत्र प्रशांत कुमार में से किसी एक के लिए दावेदारी
- भाजपा विधायक इंद्रजीत महतो - पत्नी तारा देवी के लिए दावेदारी
- जोबा मांझी - पुत्र उदय मांझी
- स्टीफन मरांडी - पुत्री उपासना मरांडी (महेशपुर सीट)
- रामचंद्र चंद्रवंशी - पुत्र ईश्वर सागर चंद्रवंशी (विश्रामपुर सीट)
- चंद्रशेखर दुबे - पुत्र अभय (विश्रामपुर)
- उमाशंकर अकेला - पुत्र रविशंकर अकेला (बरही सीट)
- योगेंद्र साव - पुत्री अंबा प्रसाद (बड़कागांव सीट) या पत्नी निर्मला देवी
- एनसीपी के कमलेश सिंह - बेटे सूर्या सिंह (हुसैनाबाद सीट)
- इंदर सिंह नामधारी - बेटे दिलीप सिंह नामधारी (डाल्टनगंज सीट)
- निर्मल बेसरा - बेटे श्रद्धानंद बेसरा (सिमडेगा)
- खीरु महतो - बेटे दुष्यंत पटेल, मांडू
विपक्षी दलों की परिवारवाद में दिलचस्पी - भाजपा
परिवारवाद के खिलाफ मुखर भाजपा का मानना है कि कुछ उदाहरणों को छोड़ दें तो भारतीय जनता पार्टी में ऐसा नहीं होता. भाजपा प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि आपको ऐसे व्यक्तियों की पृष्ठभूमि भी देखनी होगी जो अपने पिता की विरासत को संभालने के लिए राजनीति में आते हैं. संभव है कि वे पहले से ही राजनीति में हों, इसलिए इसमें कुछ गलत नहीं है. उन्होंने अन्य दलों में परिवारवाद की स्थिति बताते हुए कहा कि आज हरियाणा में हो रहे चुनाव को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि विपक्षी दलों की इसमें कितनी दिलचस्पी है.