शिमला: हिमाचल प्रदेश में इन दिनों मक्की की फसल की बीजाई की गई है, लेकिन प्रदेश में बारिश कम होने से मक्की की फसल सूखे की मार झेल रही है. वहीं, अब मक्की की फसल पर फॉल आर्मीवर्म कीट का प्रकोप भी शुरू हो गया है. जिससे मक्की की फसल को भारी नुकसान पहुंच रहा है.
बारिश की कमी से कीटों का प्रकोप
कृषि विभाग के उप निदेशक कुलभूषण धीमान ने बताया "प्रदेश में मानसून की कम बारिश होने के कारण कीटों का प्रकोप हुआ है. इसमें खासकर ऊना, हमीरपुर और बिलासपुर जिले के साथ प्रदेश के निचले इलाकों में फसलों पर फॉल आर्मीवर्म का अटैक हुआ है. इस मानसून सीजन में अब तक प्रदेशभर में 38 प्रतिशत कम बारिश हुई है."
80 से ज्यादा फसलों को नुकसान पहुंचाती है ये कीट
उपनिदेशक कुलभूषण धीमान ने कहा "फॉल आर्मीवर्म एक बहु-फसल कीट है जो कि 80 से ज्यादा फसलों को खाकर नुकसान पहुंचाता है. फॉल आर्मीवर्म का प्रकोप सिर्फ एक रात में ही फसलों को भारी नुकसान पहुंचा सकता है. अगर समय पर फसलों में फॉल आर्मीवर्म की पहचान और नियंत्रण नहीं किया गया, तो मक्की समेत अन्य फसलों को भारी नुकसान पहुंचा सकता है."
तमिलनाडु के कृषि यूनिवर्सिटी कोयंबटूर में सेंटर फॉर प्लांट प्रोटेक्शन स्टडी की डायरेक्टर एम शांति ने बताया "साल 2018 में भारत में पहली बार कर्नाटक में फॉल आर्मीवर्म का मामला देखा गया था. इसके बाद ये तमिलनाडु में आया और फिर देशभर में फॉल आर्मीवर्म के मामले देखे गए. फॉल आर्मीवर्म एक सफेद कीट है जो कि 100 किलोमीटर से ज्यादा तक उड़ सकते हैं."
एम शांति ने बताया "फॉल आर्मीवर्म मादा अपने जीवनकाल में करीब 1000 से 1500 तक अंडे देती हैं. इस कीट की व्यस्क मादा पौधों की पत्तियों और तनों पर अंडे देती है. यह अंडे 3-4 दिन में फूट जाते हैं और इनसे निकलने वाले लार्वा 14-22 दिन तक इस अवस्था में रहते हैं. कीट के लार्वा के जीवन चक्र की तीसरी अवस्था तक इसकी पहचान करना मुश्किल है, लेकिन चौथी अवस्था में इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है. ये कीट फसल के पत्तों को खाते हैं जिससे फसल को काफी नुकसान होता है"
कैसे करें फसल का बचाव
इस कीट से बचाव के लिए किसान कोराजन कीटनाशक की स्प्रे कर सकते हैं. कोराजन की पहली स्प्रे बुआई के दस दिन बाद मक्की के पत्तों के भंवर में किसान कर सकते हैं. स्प्रे को सुबह या शाम के समय में करना चाहिए. स्प्रे नोजल को पत्ती भंवर की ओर रखना चाहिए जिसमें लार्वा आमतौर पर फीड करते हैं. वहीं, बुआई के 18-22 दिन के बाद इस स्प्रे को दोबारा करना चाहिए.
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