कानपुर:माना जाता है कि हार्ट अटैक आने के 30 सेकेंड से दो मिनट के अंदर अगर मरीज को सही ढंग से सीपीआर दे दी जाए तो उसकी जान बच सकती है. खुद चिकित्सक भी सीपीआर के महत्व को बताते हैं. हालांकि इसमें खास बात यह है कि सीपीआर देने का तरीका सही हो. ऐसा न हो तो हार्ट अटैक आने पर मरीज की जान भी जा सकती है. इसी को ध्यान में रखते हुए आईआईटी कानपुर में इंटरनेशनल बायो डिजाइन प्रोग्राम के तहत 'प्रयास' नाम की डिवाइस तैयार की गई है. हार्ट के मरीजों की जान बचाने में यह डिवाइस बेहद कारगर भूमिका निभा सकती है. IIT के विशेषज्ञों का मानना है कि हार्ट अटैक के बाद अगर मरीज को समय से 'प्रयास' की मदद से CPR दी गई तो उसकी जान बच जाएगी. यह डिवाइस सही सीपीआर देने का तरीका बताएगी. जानिए कैसे काम करती है यह डिवाइस और क्या हैं इसकी खूबियां.
सही सीपीआर देने पर जलेगी नीली बत्ती, गलत पर लाल: इस डिवाइस को लेकर आईआईटी कानपुर में वरिष्ठ प्रोफेसर जे रामकुमार ने बताया कि आईआईटी कानपुर में एसआईबी शाइन फैलोशिप प्रोग्राम के तहत जिन रिसर्च फैलो को देशभर से चयनित किया गया, उनमें आदित्य राज भाटिया ने केजीएमयू के चिकित्सक डा. ऋषि सेठी व आईआईटी कानपुुर के एक्सपर्ट्स के साथ मिलकर 'प्रयास' डिवाइस बनाई. इस डिवाइस की मदद से सीपीआर देने का सही तरीका सभी को पता लग सकेगा. इसे चेस्ट के पास लगाकर मरीज को सीपीआर देना होगा. सही सीपीआर देने पर नीली और गलत ढंग से सीपीआर देने पर लाल रंग की बत्ती जल जाएगी.