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भगवान श्रीकृष्ण की जन्म से लेकर ब्रज गमन तक की लीला देखिए एक ही स्थान पर; इलाहाबाद संग्रहालय में प्रदर्शित किए गए 4 सदियों के चित्र - Exhibition on Lord Krishna

भगवान श्रीकृष्ण के बाल्यकाल से लेकर उनके मथुरा गमन तक की लीलाओं के दर्शन एक ही जगह पर हो रहे हैं. इलाहाबाद संग्रहालय में श्रीकृष्ण की 11 साल 56 दिन की लीलाओं की प्रदर्शनी लगाई गई है.

इलाहाबाद संग्रहालय में लगी प्रदर्शनी.
इलाहाबाद संग्रहालय में लगी प्रदर्शनी. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 20, 2024, 8:12 AM IST

इलाहाबाद संग्रहालय में लगी प्रदर्शनी. (Video Credit; ETV Bharat)

प्रयागराज :भगवान श्रीकृष्ण के बाल्यकाल से लेकर उनके मथुरा गमन तक की लीलाओं के दर्शन एक ही जगह पर हो रहे हैं. इलाहाबाद संग्रहालय में श्रीकृष्ण की 11 साल 56 दिन की लीलाओं की प्रदर्शनी लगाई गई है. खास यह कि प्रदर्शनी में 17वीं से लेकर 20वीं सदी तक के चित्र यहां देखने को मिल रहे हैं. इसमें लीलाओं को पांच चरण में रखते हुए 77 चित्रों के जरिये दिखाया गया है. यह प्रदर्शनी 10 सितंबर से लगी है और 10 दिसंबर तक चलेगी.

इलाहाबाद संग्रहालय में लगी प्रदर्शनी. (Photo Credit; ETV Bharat)

इलाहाबाद संग्रहालय में 17वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक के चित्रों के माध्यम में श्री कृष्ण लीलाओं को दर्शाया गया है. संग्रहालय के मीडिया प्रभारी डॉ. राजेश मिश्रा ने बताया कि आज की पीढ़ी को 'लीलाधर चित्र प्रदर्शनी' के जरिये कृष्ण कन्हैया के जीवन के उन पहलुओं को दिखाने का प्रयास किया गया है, जिसमें उनके जन्म से लेकर मथुरागमन तक की लीलाओं का वर्णन है. बताया कि लीलाधारी भगवान श्री कृष्ण के जीवन काल के 11 साल 56 दिन तक के काल की लीलाओं को विभिन्न चित्रों के माध्यम से दिखाया गया है. चित्रों के जरिये दिखाया गया है कि मनुष्य सारे मनुष्य वाले कर्म करके भी कुछ नहीं करता है. श्रीकृष्ण प्रेममूर्ति होकर भी आनन्दमूर्ति हैं. रासेश्वर होकर भी योगेश्वर हैं. लीला पुरुषोत्तम की ऐसी ही लीलाओं को लेकर लीलाधर के शीर्षक से इस प्रदर्शनी को लगाया गया है.

इलाहाबाद संग्रहालय में लगी प्रदर्शनी. (Photo Credit; ETV Bharat)

17वीं से लेकर 20वीं शताब्दी तक के चित्रों की प्रदर्शनी :इलाहाबाद संग्रहालय की सहायक संग्रहाध्यक्ष डॉ. संजू मिश्रा ने बताया कि 17वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक के प्राचीन चित्रों को इस प्रदर्शनी में लगाया गया है. राजस्थानी मेवाड़, बूंदी, जयपुर, नाथद्वारा कांगड़ा, बसौली, दक्कनी लघु चित्रकारों की कलम ने भंगिमा, भाव, मुद्रा, सौन्दर्य, रस से भरे हुए चित्र बनाये हैं. इस संग्रहालय के उप संग्रहाध्यक्ष डॉ. राजेश मिश्रा ने बताया कि इन चित्रों को भावानुसार बनाया गया है. जिसमें भावानुसार प्रेमियों को प्रेम, भोगियों को भोग, विलासियों को विलास, कलाकारों को कला, चित्रकारों को चित्र, भक्तों को भगवान, साधकों को सिद्धि, योगियों को योगश्वर और ज्ञानियों को साक्षात ब्रह्म दिखाई पड़ते हैं.

पांच भागों में बांटी गई है प्रदर्शनी :इलाहाबाद संग्रहालय में लगाई गई इस प्रदर्शनी को पांच भागों में बांटा गया है, जिसमें कृष्णजन्म तथा जन्मोत्सव के साथ ही उनके गोचारण, कृष्ण एवं गोपियां तथा कृष्ण एवं राधा पर आधारित चित्र लगाए गए हैं जबकि अंतिम भाग में बारहमासा लीलाओं से जुड़े चित्र लगाए गए हैं जिसमें हिंदी कैलेंडर के मुताबिक 12 महीनों के आधार पर आधारित चित्र लगाए गए हैं. 17वीं से लेकर 20वीं शताब्दी तक के 77 चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई है. जिसमें मुख्य आकर्षण वाले चित्रों में पूतना वध, झाड़ा (नजर उतराई),यमलार्जुन उद्धार तृणावर्त उद्धार, अघासुर उद्धार, धेनुकासुर उद्धार, रास,महारास,चोरमहीचिनी (छुपन छुपाई), चकरघिन्नी खेल, झूला उत्सव, अपलक निहार, राधा का साक्षात्कार, शुक्लाभिसार, कृष्णाभिसार, सम्मोहन, पावस प्रणय, वेणी श्रृगांर, विपरीत रति, क्षमायाचना और कृष्ण का मथुरा प्रस्थान शामिल हैं.

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