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मंत्री पंकज चौधरी ने कहा- उत्खनन के बाद रामग्राम का होगा विकास, टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा

Maharajganj News : केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने वैदिक मंत्रोच्चार और धम्म पाठ के बीच उत्खनन का शुभारंभ किया.

वैदिक मंत्रोच्चार और धम्म पाठ के बीच उत्खनन का शुभारंभ
वैदिक मंत्रोच्चार और धम्म पाठ के बीच उत्खनन का शुभारंभ (Photo credit: ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 5 hours ago

महराजगंज : ऐतिहासिक धरोहर स्थल कन्हैया बाबा स्थान रामग्राम के उत्खनन (खुदाई) का इंतजार सोमवार को खत्म हो गया. सोमवार को केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने वैदिक मंत्रोच्चार और धम्म पाठ के बीच उत्खनन का शुभारंभ किया. केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि तमाम झंझावतों को पार करके यह शुभ दिन आया है. उत्खनन में प्रमाणित होने के बाद इस क्षेत्र का चहुमुखी विकास होगा. टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा.

सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग के जंगल में स्थित कन्हैया बाबा स्थान को बुद्ध के आठवें अस्थि स्तूप की मान्यता के परिप्रेक्ष्य में सोमवार को उत्खनन कार्य का शुभारंभ हुआ. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मंत्रोच्चार और धम्म पाठ के साथ उत्खनन कार्य का शुभारंभ किया. इस दौरान 15 सदस्यीय भारतीय पुरातत्व विभाग की टीम डाॅक्टर आफताब हुसैन के नेतृत्व मे मौजूद रही. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध के नाना महाराज अंजन की धरती पर आप सबका स्वागत है. उन्होंने कहा कि हजारों वर्ष पूर्व इसी क्षेत्र से भगवान बुद्ध ने अहिंसा का जो मार्ग दिखाया वो पुरी दुनिया में फैला.

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि यह गौरव का विषय है कि भगवान बुद्ध का ननिहाल और ससुराल महराजगंज जनपद में है. उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में यहां से लेकर मगध तक आठ महागणराज्य हुआ करते थे. जिसमें से दो गणराज्य महराजगंज मे पड़ते थे. भगवान बुद्ध शाक्य गणराज्य से थे, उनकी पत्नी कोलिय गणराज्य की थीं. आठों गणराज्य भगवान बुद्ध के अनुयायी थे. केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण के समय हुई घटनाएं भारतीय इतिहास में प्रमाणिक रुप से दर्ज की गई हैं. उन्होंने कहा कि आठवें अस्थि स्तूप के मत मतांतर को लेकर न केवल भारत में बल्कि अन्य देशों में मिथकीय कथाएं प्रचलित हैं. इतिहास की प्रमाणिकता को स्थापित करने के लिए शोध आवश्यक है. उन्होंने कहा कि आज की ये प्रायोगिक खुदाई हजारों वर्ष पुराने इतिहास को प्रमाणिक रुप से देखने का प्रयास मात्र है.

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