संभल: यूपी के संभल में 46 साल बाद कार्तिकेय महादेव मंदिर के कपाट खुलने के बाद अब जिले में दफन इतिहास को फिर से जिंदा करने की कोशिशें शुरू की गई हैं. विलुप्त हो चुके कुएं, बावड़ी के साथ तीर्थ स्थलों की तलाश की जा रही है. चंदौसी में स्वर्गीय रानी सुरेंद्र बाला की बावड़ी मिलने के बाद अब जिले में सम्राट पृथ्वीराज चौहान की ओर से बनवाई गई एक और बावड़ी मिली है. ग्राउंड जीरो पर जाकर ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल की. खंडहर में तब्दील इस बावड़ी को लेकर दावा किया गया है कि इसे सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने अपनी सेना के विश्राम करने के लिए बनवाया था. ककया ईंट से ये बावड़ी आज उचित रखरखाव नहीं होने की वजह से विलुप्त होने की कगार पर है. 5 से 7 मंजिला बताए जाने वाले सम्राट पृथ्वीराज की ये बावड़ी वर्तमान में सिर्फ दो मंजिला ही बची है.
बता दें कि संभल शहर से सटे गांव कमलपुर सराय के जंगल में पृथ्वीराज चौहान की बनाई एक बावड़ी मिली है. इसे लेकर दावा किया जा है कि पृथ्वीराज चौहान ने अपने समय में पांच मंजिला बावड़ी का निर्माण कराया था. यहां पर उनकी सेना ठहरती थी. इस बावड़ी में छोटे-छोटे कमरे बने हुए हैं. गोल आकार में बनी इस बावड़ी के बीच में पानी की व्यवस्था कराई गई थी.
पृथ्वीराज चौहान की राजधानी रही संभल में आज बावड़ी की हालत बेहद ही खराब है. पृथ्वीराज चौहान की इस बावड़ी को चोर कुंआ भी कहा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस बावड़ी में सुल्ताना डाकू भी अपने साथियों के साथ आया करता था. साथ ही ये भी कहा जाता है कि पूर्व के समय चोर चोरी या फिर लूट की घटना को अंजाम देने के बाद यहीं पर आकर ठहरते थे. चोरी की रकम को यहीं पर आपस में बांट लिया करते थे. इसी कारण इसे चोर कुआं भी कहा जाता है.