लखनऊ: संभल और उत्तर प्रदेश के कई जिलों के बाद अब राजधानी लखनऊ में भी कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स के नीचे मंदिर होने का दावा किया जा रहा है. ये मंदिर काफी साल से बंद था. करीब सप्ताहभर पहले स्थानीय लोगों ने इसे खोला और सफाई कराकर पूजा शुरू की.
इस संबंध में लखनऊ विकास प्राधिकरण में गुरुवार की दोपहर हिंदूवादी संगठन ब्राह्मण संसद की ओर से शिकायत दर्ज कराते हुए कार्रवाई करने की मांग की गई है. लखनऊ विकास प्राधिकरण ने भी इस संबंध में जांच का आश्वासन दिया है.
मंदिर पक्ष से जुड़े हुए लोगों ने कहा कि इस प्रकरण में तत्कालीन नगर मजिस्ट्रेट लखनऊ से शिकायत की गई थी. उन्होंने मामले का संज्ञान लेते हुए 14 जनवरी 1993 को कैसरबाग और चौक सीओ को पत्र लिखकर निर्माण कार्य पर रोक लगाने का आदेश दिया था. साथ ही मजिस्ट्रेट ने मंदिर परिसर में स्थित बरगद का पेड़ जो लगभग ढाई सौ साल पुराना था, उसके कटान को रोकने का भी आदेश दिया था.
लेकिन, आदेश के बावजूद निर्माण कार्य नहीं रुका. इसके बाद पंडित रामकृष्ण दीक्षित ने एक समिति रजिस्टर कराई, जिसका नाम मीता दास गजराज सिंह मंदिर एवं भक्ति भावना जनहित एवं समिति था. इस मामले में हिंदू पक्ष के द्वारा दावा किया गया है कि यह मंदिर 1885 का है, जो स्व. गजराज सिंह ने अपनी कमाई से अपनी जमीन पर बनवाया था.
1906 में रजिस्टर्ड वसीयत कर उस जमीन पर एक ठाकुरद्वारा और शिवालय का निर्माण कराया. 1918 में पूजा अर्चना के लिए द्वारका प्रसाद दीक्षित को पुजारी के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई और कहा गया कि उनकी पुश्त दर पुश्त यहां पर पूजा पाठ करती रहेंगी. द्वारका प्रसाद के बाद लालता प्रसाद फिर उमाशंकर दीक्षित फिर रामकृष्ण दीक्षित और फिर यज्ञ मनी दीक्षित के पास यहां पूजा पाठ का अधिकार था.
मंदिर पक्ष का दावा है कि इस परिसर में एक राधा रानी का मंदिर, एक शिवालय, एक बरगद का पेड़ और कुछ पुरानी दुकानें थीं, जिससे मंदिर का खर्च चलता था, पर उसे धीरे-धीरे हटा दिया गया. मंदिर विधानसभा मार्ग स्थित राणा प्रताप चौराहे के करीब है.
ब्राह्मण संसद के अध्यक्ष अमरनाथ मिश्रा ने बताया कि अब यहां हिंदुओं को पूजा पाठ करने से रोक रहे हैं. यह कॉम्प्लेक्स पूरी तरह से अवैध है. जिसकी शिकायत हमने लखनऊ विकास प्राधिकरण में की है. लखनऊ विकास प्राधिकरण से हमको आश्वासन मिला है कि वह इस पूरे प्रकरण की जांच कर जरूरी कार्रवाई करेंगे.
लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव विवेक श्रीवास्तव से इन लोगों ने मुलाकात की. सचिव विवेक श्रीवास्तव ने सभी को आश्वासन दिया कि इस संबंध में जो भी विधिक होगा उस हिसाब से लखनऊ विकास प्राधिकरण आगे कार्रवाई करेगा और पूरे प्रकरण की जांच कराएगा.
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