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इलेक्टोरल बांड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से देश पर क्या असर पड़ेगा ? मशहूर अधिवक्ता विवेक तन्खा ने बताया - vivek tankha electoral bonds

SC judgement electoral bonds : इलेक्टोरल बांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले से लोकतंत्र मजबूत होगा. अब राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में मिली रकम को सार्वजनिक करना होगा. इससे भारतीय राजनीति में बदलाव आएगा. यह कहना है कि कांग्रेस सांसद व मशहूर अधिवक्ता विवेक तन्खा का.

SC judgement electoral bonds
इलेक्टोरल बांड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से देश पर क्या असर पड़ेगा

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 16, 2024, 10:01 AM IST

जबलपुर।राज्यसभा सदस्य व सीनियर एडवोकेट विवेक तन्खा ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बांड के माध्यम से देश की कई कॉरपोरेट सेक्टर की बड़ी कंपनियां अपने हित साधने के लिए रूलिंग पार्टी को बड़ा चंदा दे रही थीं. इस वजह से भारत का लोकतंत्र खतरे में आने लगा था. इसी पैसे का इस्तेमाल करके सत्ता में बैठी पार्टी विपक्ष को पूरी तरह से बर्बाद करने पर तुली थीं. विवेक तन्खा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है. इस फैसले की वजह से अब देश का लोकतंत्र बच जाएगा.

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन हो रहा था

विवेक तन्खा का कहना है कि आप सभी पार्टियों को अपने चंदे की रकम की जानकारी स्टेट बैंक से लेकर अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करनी होगी. इलेक्टोरल बांड के माध्यम से जो पैसा पार्टियों को दिया जाता था, वह भारतीय संविधान के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है. इस पैसे के बारे में कोई भी आदमी जानकारी नहीं ले सकता था. यह सूचना के अधिकार अधिनियम से भी बाहर रखा गया था ताकि राजनीतिक दलों को चंदा किसने दिया, इसके बारे में जनता को जानकारी ना मिले. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग दो याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए इलेक्टोरल बांड की गोपनीयता को खत्म करने का फैसला सुनाया है.

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गौरतलब है कि इलेक्टोरल बांड राजनीतिक दलों को फंडिंग करने का एक तरीका है, जिसे केंद्र सरकार ने 2017-18 में संसद में एक विधेयक लाकर पारित किया था. इसमें कोई भी भारत का नागरिक भारतीय स्टेट बैंक से ₹1000 से लेकर एक करोड रुपए तक के इलेक्टोरल बांड खरीद सकता था. इस बांड को वह किसी राजनीतिक दल को दे रहा है, यह पूरी तरह से गोपनीय रखा जाता है. इसमें जिस दल को भी यह पैसा जाता था, उसको कम से कम चुनाव में एक प्रतिशत वोट मिलना जरूरी होता है.

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