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नवरात्रि के 8वें दिन मां महागौरी की ऐसे करें पूजा, यहां देखें पूजा विधि, आरती और मंत्र

शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन, जिसे "महाष्टमी" के नाम से जाना जाता है, मां महागौरी की पूजा के लिए समर्पित है.

By ETV Bharat Delhi Team

Published : 4 hours ago

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नई दिल्ली:10 अक्टूबर 2024 को शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन है, जो मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा के क्रम में विशेष महत्व रखता है. इस दिन मां महागौरी की पूजा विधिवत् करने का विधान है. मां महागौरी को भगवती दुर्गा का आठवां स्वरूप माना जाता है, जो कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान करने वाली, समृद्धि और सुख का वरदान देने वाली मानी जाती हैं.

पूजा का समय और विधि:इस दिन अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 अक्टूबर दोपहर 12:30 बजे होगी और यह 11 अक्टूबर को 12:05 बजे समाप्त होगी. इस महत्वपूर्ण दिन को मनाने के लिए भक्तों को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होना चाहिए. सफेद रंग के वस्त्र पहनकर घर के मंदिर को साफ कर गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए.

  1. मां महागौरी की मूर्ति की स्थापना करें.
  2. उनके समक्ष घी का दीप जलाएं.
  3. पूजा का संकल्प लें.
  4. मां को सफेद रंग के पुष्प, धूप, दीप और नवैद्य अर्पित करें.
  5. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.
  6. पूजा के बाद मां महागौरी का पाठ और आरती करें.
  7. शामिल सभी सदस्यों को प्रसाद वितरण करें.

पूजा का महत्व:मां महागौरी की उपासना धार्मिक मान्यता के अनुसार, अत्यंत फलदायिनी मानी जाती है. विधि-विधान से उनकी पूजा करने से गृहस्थ जीवन में खुशहाली, बिगड़े काम का बनना और सभी प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा, मां महागौरी की कृपा से जीवन में आ रही विपदाओं से छुटकारा और सुख, समृद्धि तथा सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

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मां महागौरी का ध्यान मंत्र:महागौरी की आराधना के लिए यह ध्यान मंत्र विशेष रूप से प्रभावशाली माना जाता है:

श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां महागौरी की आरती

जय महागौरी जगत की माया।
जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहा निवास॥
चन्द्रकली और ममता अम्बे।
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता।
कौशिक देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती (सत) हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो॥

Disclaimer: खबर धार्मिक मान्यताओं और जानकारी पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमन मिलने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना बेहद आवश्यक है. खबर केवल जानकारी के लिए है

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