स्कूली शिक्षा को मजबूत करने की तैयारी जयपुर.देश में लगातार बढ़ते कोचिंग कारोबार और इसकी जद में आने से बढ़ते छात्रों के सुसाइड के मामलों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने गाइडलाइन जारी की है. इस गाइडलाइन को मानने के लिए कोचिंग सेंटर्स को पाबंद किया गया है. उल्लंघन करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई के भी निर्देश दिए गए हैं. इस गाइडलाइन में कोचिंग क्लास में एडमिशन की आयु, फीस की रसीद, फीस रिटर्न पॉलिसी, स्कूल के समय कोचिंग क्लास नहीं लेने, साप्ताहिक अवकाश और कोचिंग संस्थानों की ओर से लिए गए टेस्ट रिजल्ट को सार्वजनिक नहीं करने जैसे निर्देश दिए गए हैं. ऐसे में अब जहां कोचिंग संस्थानों पर नकेल कसी जा रही है. वहीं, शिक्षा महकमे की भी जिम्मेदारी बढ़ गई है कि वो छात्रों की नींव यानी स्कूली शिक्षा को ही इतनी मजबूत कर दें कि उन्हें कोचिंग का रुख करने की आवश्यकता ही ना पड़े.
कोचिंग कईयों के लिए बना फैशन : केंद्र सरकार ने कोचिंग सेंटर्स पर नकेल कसने के लिए जारी की गई गाइडलाइन में निर्देश दिया कि 16 साल कम आयु के छात्रों को कोचिंग में एडमिशन नहीं दिया जा सकेगा. ऐसे में राजस्थान में स्कूली स्तर को सुधारने को लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई है. इसी पर बात करते हुए शिक्षा सचिव नवीन जैन ने कहा कि कोचिंग, शिक्षा का कोई अनिवार्य अंग नहीं है. बहुत समय पहले तक तो कोचिंग लेना अच्छा भी नहीं माना जाता था. बीते कुछ सालों में कोचिंग कुछ लोगों की जरूरत और कुछ के लिए फैशन भी बन गया और फिर एक भेड़ चाल शुरू हो गई. उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा में यदि कमी रहती है तो कोचिंग की आवश्यकता रहती होगी, लेकिन नई शिक्षा नीति में बहुत स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि कोचिंग-ट्यूशन पर फोकस नहीं रहना चाहिए. इस दिशा में कोचिंग सेंटर्स के लिए गाइडलाइन जारी करने का कदम उठाया गया. हाल ही में ये गाइडलाइन जारी भी की गई. इस संबंध में राज्य सरकार के जो भी डायरेक्शन जारी किए जाएंगे, उस संबंध में विभाग पूरी तरह सतर्क होकर काम करेगा.
रिवीजन के लिए क्वेश्चन बैंक तैयार : शिक्षा विभाग की ओर से पिछले सत्र में स्कूलों में करियर काउंसलिंग और हाल ही में छात्रों को रिवीजन के लिए क्वेश्चन बैंक तैयार करवाई गई, जिसके पीछे उद्देश्य बताते हुए नवीन जैन ने कहा कि राजस्थान के राजकीय विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में गुणवत्ता पूर्ण सुधार होना चाहिए. इसके लिए राज्य सरकार भी कटिबद्ध है. खुद शिक्षा मंत्री का फोकस पदभार ग्रहण करने के बाद से क्वालिटी एजुकेशन और स्टूडेंट अटेंशन पर है. ये सारे कदम उसी दिशा में है.
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बच्चों को पढ़ाने की अवधि का भी बैलेंस हो : उन्होंने कहा कि जो सुविधा प्राइवेट स्कूल के विद्यार्थियों को दी जाती है, यदि इस तरह की सुविधा राजकीय विद्यालयों में देंगे तो उससे छात्रों के रिजल्ट में सुधार आएगा. इसलिए उनके ग्रेड को सुधारने के लिए क्वेश्चन बैंक, स्कूल आफ्टर स्कूल और बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी पर विशेष जोर दे रहे हैं. शिक्षा सचिव ने स्पष्ट किया कि कोचिंग में आयु निर्धारित की गई है, जिसमें 16 वर्ष से कम आयु के बच्चे नहीं आने चाहिए. कुछ लोग छठी कक्षा में ही बच्चों को कोचिंग में डाल देते थे. ऐसे में उनका बच्चा पहले स्कूल जाता है, फिर कोचिंग जाता है. ऐसे बच्चों को कोचिंग सेंटर की ओर से डेफिनेटली टारगेट किया जाता है. लेकिन बच्चों को पढ़ाने की अवधि का भी बैलेंस होना चाहिए. ऐसे में केंद्र की गाइडलाइन को लागू करने के लिए राज्य सरकार ही अथॉरिटी बनाएगी.
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हालांकि उनका मानना है कि स्कूल एजुकेशन में 11वीं कक्षा का बच्चा ही 16 साल का होता है और यदि 11वीं कक्षा के बाद बच्चा कोई तैयारी शुरू करता है, तो उसके ऊपर कोई कानून लागू नहीं होगा. ये कानून सिर्फ 16 साल से कम आयु के बच्चों के लिए हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कई बार देखने को आता है कि बच्चा काफी अच्छे स्कूल में पढ़ता है, बावजूद इसके उसे कोचिंग इंस्टिट्यूट में भी पढ़ा दिया जाता है. उस पर रोक लगाने का ये अच्छा तरीका है. नवीन जैन ने बताया कि राजकीय विद्यालयों में ये कोशिश की जाती है कि बच्चों को स्कूल में अच्छी शिक्षा मिले. इसके लिए टीचर्स की संख्या भी लगातार बढ़ाई जा रही है. अच्छा एजुकेशन मटेरियल उपलब्ध कराया जा रहा है. टेक्स्ट बुक की क्वालिटी में भी इंप्रूवमेंट किया गया है और अब क्वेश्चन बैंक भी छात्रों तक पहुंचाए जा रहे हैं. आने वाले समय में असेसमेंट और वर्क बुक पर भी जोर दिया जाएगा. इसमें 9वीं 10वीं की वर्क बुक पर काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि कंपटीशन एग्जाम की कोचिंग एक अलग मसला है, उस समय बच्चों की और उनके पैरेंट्स की चॉइस है, लेकिन कोचिंग गाइडलाइन में कॉम्पिटेटिव एग्जाम की कोचिंग और स्कूल कोर्स की कोचिंग को स्पष्ट किया है, जिसके तहत स्ट्रक्चर्ड मैनर में बच्चों को कुछ घंटे के लिए कोचिंग पर भेजने पर प्रतिबंध लगाया गया है. एजुकेशन को बैलेंस करने का एक तरीका निकाला गया है.
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बहरहाल, कोचिंग पर नकेल कसने के साथ ही अब शिक्षा का बेस क्लियर होगा यानी की यदि छात्रों की स्कूली शिक्षा की नींव मजबूत होगी, तो उन्हें कोचिंग तक जाने की जरूरत नहीं होगी. इसी वजह से अब राजस्थान शिक्षा महकमा छात्रों की नींव मजबूत करने पर फोकस कर रहा है.