दिल्ली एसजीपीसी के अध्यक्ष सरदार हरमीत सिंह कालका और महासचिव सरदार जगदीप सिंह काहलों नई दिल्ली: दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार हरमीत सिंह कालका और महासचिव सरदार जगदीप सिंह काहलों ने कहा कि कमेटी के पूर्व अध्यक्ष सरदार परमजीत सिंह सरना और सरदार मंजीत सिंह जीके सिख कौम की शिक्षण संस्थाएं गुरु हरिकृष्ण पब्लिक स्कूलों को बंद करने के लिए आतुर हैं. इसलिए कभी एक दूसरे के विरोधी रहे, आज कौम की संस्थाओं के खिलाफ दुष्प्रचार करने में जुटे हुए हैं.
उन्होंने कहा कि सरना व जीके ने कोर्ट में दो हलफनामे दाखिल कर श्री गुरु हरिकृष्ण पब्लिक स्कूल के स्टाफ को छठे वेतन आयोग अनुसार बकाए का भुगतान करने की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन दोनों ही इस जिम्मेदारी को निभाने में बुरी तरह विफल रहे हैं. इसके विपरीत, वर्तमान कमेटी ने पिछले दो वर्षों में गुरु हरिकृष्ण पब्लिक स्कूलों के कर्मचारियों को लगभग 84 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान किया है. इसके साथ ही 2019 से अब तक 144 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया जा चुका है.
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कालका ने कहा कि परमजीत सिंह सरना दावा करते हैं कि जब संगत ने उन्हें सेवामुक्त किया था तो 125 करोड़ की राशि वह खाते में छोड़ कर गए थे. जबकि दूसरी तरफ मनजीत सिंह जीके कहते हैं कि उन्हें खाते में केवल 90 करोड़ रुपये व 300 करोड़ रुपये की देनदारी मिली. दोनों के बयानों में 35 करोड़ रुपये का फर्क है जो संगत के समक्ष है.
जब उन्होंने 2006-2013 तक छठे वेतन आयोग का बकाया संगत और छात्रों के अभिभावकों से ले लिया था तो उन्होंने इसे कर्मचारियों को जारी क्यों नहीं किया ? सरना के कौन से ऐसे सलाहकार ने उन्हें सलाह दी थी कि एकत्रित धन को बैंक में रखकर उस पर ब्याज वसूला जाए और बकाया राशि पर एकत्र होने वाला दोगुना ब्याज भरना पड़े. जबकि वास्तविकता यह है कि यह मामला सबसे पहले साल 2006 में माननीय न्यायाधीश श्रीमती शिखा शर्मा की अदालत में पहुंचा था.
इसके बाद वर्ष 2009, 2011, 2012, 2018 आदि तक कोर्ट की अवमानना का मामला चला. उन्होंने कहा कि हमारी कमेटी 2022 में बनी थी. उससे पहले के दाखिल छठे और सातवें वेतन आयोग के मामले हमें भुगतना पड़ रहे हैं. दिल्ली कमेटी की ओर से अब तक दो हलफनामे दाखिल किए जा चुके हैं, जिनमें पहला 2012 में परमजीत सिंह सरना ने छठे वेतन आयोग और दूसरा मंजीत सिंह जीके ने 2015 में दाखिल किया था. परमजीत सिंह सरना ने 4-1-2012 को शिक्षा निदेशक और 13-12-11 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री अरविंदर सिंह लवली को पत्र लिखकर आश्वासन दिया था कि हम छठे वेतन आयोग का बकाया भुगतान करेंगे.
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