नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से संबद्ध और दिल्ली सरकार से 100 प्रतिशत वित्त पोषित 12 कॉलेजों को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) आर-पार की लड़ाई की तैयारी में है. डूटा ने हाल ही में आपातकालीन बैठक बुलाकर 16 फरवरी को दिल्ली विधानसभा के बाहर धरना देने का निर्णय लिया है. इस दिन दिल्ली सरकार अपना बजट पेश कर सकती है. डूटा की बैठक में प्रस्ताव पास किया गया कि 12 कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय के अभिन्न अंग हैं. सरकार को इसके लिए फंड देना जारी रखना होगा.
डूटा और डीयू की कार्यकारी परिषद के सदस्य प्रो. सुनील कुमार शर्मा ने कहा कि शिक्षा मंत्री आतिशी को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को लिखे गए दोनों पत्र वापस लेने चाहिए, जिसमें उन्होंने 12 कॉलेजों को फंड देने से इंकार या फिर इन्हें अंबेडकर कॉलेज का हिस्सा बनाने या पूरी तरह दिल्ली विश्वविद्यालय को देने की मांग उठाई है. उन्होंने कॉलेजों में हुई भर्तियों पर सवाल उठाया है. लेकिन, वे आम आदमी पार्टी की सरकार के गठन के बाद से लगातार फंड दे रहे हैं. अब एकाएक भर्तियों को गलत कहना उचित नहीं है.
वहीं, 12 कॉलेजों पर डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह भी दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी को पत्र लिख चुके हैं. उन्होंने भी कॉलेजों को विश्वविद्यालय का अभिन्न अंग बताया था और पत्र को वापस लेने की अपील की थी. उल्लेखनीय है कि डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ईटीवी भारत को दिए इंटरव्यू में खुद यह कह चुके हैं दिल्ली सरकार द्वारा डीयू के 12 कॉलेज को अलग करना आसान नहीं है. डीयू के संविधान में इस बात का उल्लेख है कि यह 12 कॉलेज पूरी तरह डीयू से संबद्ध रहेंगे और दिल्ली सरकार उनके लिए फंड देगी.
बता दें कि इससे पहले भी इन कॉलेजों में वेतन को लेकर शिक्षक धरना देते रहे हैं. शिक्षकों का तीन-तीन महीने का बकाया वेतन दिलवाने के लिए कई बार डूटा को जंतर मंतर पर, विधानसभा के बाहर, दिल्ली सचिवालय और केंद्रीय शिक्षा मंत्री के कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन भी करना पड़ा है. जबकि दिल्ली सरकार इन कॉलेजों को दिए जाने वाले फंड के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए आगे और फंड जारी नहीं करने का बहाना बनाती है. कई बार दिल्ली सरकार ने इन कॉलेजों को दिए गए फंड का ऑडिट करने की भी बात कही है.
डीयू से दिल्ली में कुल 91 कॉलेज संबद्ध हैं, जिनमें से 28 कॉलेज दिल्ली सरकार के हैं. इनमें से 16 कॉलेज को दिल्ली सरकार द्वारा पांच प्रतिशत धनराशि एवं दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा 95 प्रतिशत धनराशि का भुगतान किया जाता है, जिसके चलते इन कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन मिलने में देरी नहीं होती है. जबकि इन 12 कॉलेजों को 100 प्रतिशत धनराशि मुहैया कराने का काम दिल्ली सरकार के पास है, जिसको लेकर हर साल दिल्ली सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच खींचातानी होती है.