नई दिल्ली:दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक त्योहार है. यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और रावण का पुतला जलाना इस पर्व की एक पुरानी परंपरा है. वेस्ट दिल्ली के ततारपुर में एशिया का सबसे बड़ा रावण पुतला बाजार है, जहां कारीगर दिन-रात एक करके रावण के विशाल पुतले तैयार करते हैं. लेकिन इस वर्ष महंगाई और पटाखों पर लगाए गए प्रतिबंध ने इस परंपरा को गंभीर संकट में डाल दिया है.
महंगाई का असर:इस वर्ष रावण के पुतले बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि महंगाई ने उनके कारोबार को बुरी तरह प्रभावित किया है. पिछले साल के मुकाबले बांस, कागज और तार जैसे सामग्रियों के दाम दोगुने हो चुके हैं. इस कारण पुतले बनाने का खर्च भी बढ़ गया है जो अंततः उनके मुनाफे को कम कर रहा है. कई कारीगरों ने बताया है कि इस साल पुतलों की बिक्री में उम्मीद के मुताबिक उत्साह नहीं दिखाई दे रहा है, जिसके चलते उन्हें काफी चिंता हो रही है.
पटाखों पर प्रतिबंध:पटाखों पर लगाया गया प्रतिबंध भी इस परंपरा की चमक को घटा रहा है. ट्रेडर्स और कारीगरों का मानना है कि पटाखों के बिना रावण जलाने का अनुभव अधूरा होता है. रावण के पुतले जलाने का उत्सव पटाखों के शोर से भरा होता है, और यह संपूर्ण अनुभव का एक अभिन्न हिस्सा होता है. लेकिन अब यह चिंता बढ़ रही है कि रावण के जलने पर उत्सव का आनंद कैसे लिया जाएगा.