महराजगंज : जिले की मशहूर सिसवा का दुर्गा पूजा महोत्सव बुधवार सप्तमी को नेत्र दर्शन के साथ शुरू हो गया. पंडालों में दूर-दराज के क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का आना भी प्रारंभ हो गया है. सिसवा का दुर्गा पूजा महोत्सव परंपरा व वंशावली की अनोखी मिसाल है, जो विगत 54 वर्षों से लगातार गुलजार होता चला आ रहा है. वर्ष 1969 में नगर के चार लोगों की कमेटी द्वारा तीन दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना के साथ प्रारंभ हुए इस महोत्सव ने जिले के साथ पूरे पूर्वांचल में अपनी एक अलग पहचान बनाई है.
श्रीरामजानकी मंदिर कमेटी के संरक्षक व वयोवृद्ध व्यापारी लालजी सिंह बताते हैं कि वर्ष 1968 में कस्बा निवासी पेशे से अध्यापक राधेश्याम गुप्ता और व्यापारी शिवपूजन जायसवाल ने सिसवा में दुर्गा प्रतिमा स्थापना की मनौती मानी थी. एक साल बीतने के बाद शारदीय नवरात्र के कुछ दिनों पूर्व राधेश्याम गुप्ता को माता ने सपने में मनौती की याद दिलाई. राधेश्याम ने अगले दिन लालजी सिंह से इसका जिक्र किया. इसके बाद लालजी सिंह, राधेश्याम, शिवपूजन जायसवाल व जंगी सिंह ने एक कमेटी बनाकर पहली बार नवरात्र में श्रीरामजानकी मंदिर, प्राइमरी स्कूल व भूअरी माता के स्थान पर दुर्गा माता की प्रतिमा की स्थापना कराई. इसके अगले वर्ष यानी 1970 में सायर देवी स्थान व काली माता स्थान पर दो प्रतिमाओं की स्थापना के साथ प्रत्येक वर्ष प्रतिमाएं बढ़ने लगीं. तब से शुरू हुआ दुर्गा पूजा महोत्सव का सफर अनवरत हर वर्ष नए-नए कलेवर के साथ चला आ रहा है.