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बिहार के इस मंदिर में एकता की मिसाल, मुस्लिम परिवार हर साल मां दुर्गा को अर्पित करता है सोने की नथिया

दुर्गा पूजा के मौके पर बिहार के ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो वास्तव में एकता की मिसाल पेश करता है.

By ETV Bharat Bihar Team

Published : 5 hours ago

नालंदा में दुर्गा पूजा
नालंदा में दुर्गा पूजा (ETV Bharat)

नालंदाः देशभर में नवरात्रि बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा धूमधाम से की गयी. इस नवरात्रि के मौके पर बिहार के नालंदा में कौमी एकता की झलक देखने को मिली. मां दुर्गा की आस्था सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम लोगों में भी है. ऐसे ही एकता की मिसाल जिले के इस्लामपुर प्रखंड के मुस्लिम परिवार पेश कर रहे हैं. ऐसे यहां दो-तीन परिवार है जो कई साल से मां दुर्गा को हर साल सोने की नथिया भेंट करते हैं.

वर्षों से नथिया दान करने की परंपराः हालांकि परिवार सामाजिक ताना बाना की वजह से नाम, पता या तस्वीर शेयर नहीं करना चाहते हैं. इन मुस्लिम धर्मावलंबियों की मानें तो उनके पूर्वजों से यह परंपरा चली आ रही है. अभी तक यह परिवार इसे निभा रहा है. हम बात कर रहे हैं इस्लामपुर प्रखंड बाजार स्थित हनुमानगंज बड़ी दुर्गा माता का मनोकामना मंदिर जो ढाई सौ से अधिक वर्ष पुराना है.

नालंदा में दुर्गा पूजा (ETV Bharat)

मगध क्षेत्र का मसहूर मंदिरः जानकार बताते हैं कि इसे मनोकामना देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह मनोकामना मंदिर मगध क्षेत्र का सबसे मशहूर मंदिर माना जाता है. यहां सूबे के कई जिलों के अलावा लंदन और अमेरिका के भी लोग आस्था रखते हैं. हर वर्ष यहां आकर एक बार मां के दरबार में माथा टेकते हैं. साथ ही सोने का नथिया भेंट करते हैं. हर वर्ष करीब 100 सोने की नथिया श्रद्धालु भेंट करते हैं.

नालंदा में दुर्गा पूजा (ETV Bharat)

दो सौ वर्ष से हो रही मां की पूजाः मंदिर कमिटी के अध्यक्ष प्रो. उमेश प्रसाद व पुजारी अनिल कुमार बताते हैं कि यहां रिद्धि सिद्धि विधान से मां दुर्गा की प्रतिमा का स्थापना किया गया है. रिद्धि-सिद्धि विधि विधान से पूजा भी की जाती है. यहां करीब दो सौ वर्ष से मां दुर्गा की स्थापना की जा रही है. उन्होंने नथिया दान करने वाले परिवार के बारे में खास जानकारी दी.

नालंदा में मां दुर्गा की नथिया (ETV Bharat)

"मंदिर के पास बसे कुछ पुराने वासी यहां पर सब्जी बेचते थे. उनके पूर्वज को औलाद नहीं था तो पहले किसी से बताया कि यहां मन्नत मांगने पर सभी का मनोकामना पूर्ण होता है. तबसे यह परंपरा चली आ रही है. मुस्लिम समाज के लोग भी पूर्ण आस्था के साथ दुर्गापूजा में हर तरह से सहयोग करते आ रहे हैं. हर साल सोने का नथिया दान करते रहे हैं."-अनिल कुमार, मंदिर कमेटी सदस्य

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