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मर्डर के दोषी को आजीवन कारावास की सजा, दुर्ग की अदालत का फैसला - DURG COURT DECISION

दुर्ग जिले में हत्या के दोषी एक युवक को अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई है. अपराध के वक्त युवक नाबालिग था.

DURG COURT DECISION
दुर्ग जिला अदालत (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 12, 2025, 4:43 PM IST

दुर्ग: दुर्ग में हत्या के केस में शनिवार को जिले के (फास्ट ट्रैक कोर्ट) एफटीसी बालक न्यायालय ने एक युवक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अपराध करने के समय युवक नाबालिग था इसलिए बालक न्यायालय की तरफ से यह फैसला सुनाया गया. कोर्ट ने आरोपी के ऊपर 500 रुपये का जुर्माना भी लगाया है. यह फैसला एफटीसी/बालक न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश अवध किशोर ने सुनाया है. अभी दोषी युवक 19 साल 11 महीने का है.

दोषी युवक ने कब की थी हत्या?: इस फैसले को लेकर सरकारी वकील पूजा मोगरी ने बताया कि अपचारी बालक ने 20 फरवरी 2021 को इस वारदात को अंजाम दिया था. दोषी ने कोपेडीह इलाके में युवक मनोज सार्वे की चाकू से गोदकर हत्या कर दी थी. मामूली विवाद में इस बालक ने जो अब बालिग है उसने मर्डर की वारदात को अंजाम दिया. कोर्ट ने इस केस में दोषी को उम्र कैद की सजा सुनाई है.

बाइक ठीक से चलाने की हिदायत देने पर मर्डर: दोषी बालक को मनोज सार्वे नाम के शख्स ने बाइक ठीक से चलाने की सलाह दी थी. सरकारी वकील पूजा मोगरी ने बताया कि अपचारी बालक ने मनोज की बाइक को कट मारी थी. जिसके बाद मनोद ने उसे बाइक ठीक से चलाने को कहा. इसी से गुस्सा अपचारी बालक ने मनोज के साथ गाली गलौज की. उसके बाद अपने दोस्तों के साथ प्लानिंग कर उसकी चाकू से गोदकर हत्या कर दी.

20 फरवरी 2021 को अपचारी बालक ने प्लानिंग के तहत मनोज को तुसलीराम सिन्हा के घर के पास बुलाया. यहां अपचारी बालक पहले से मौजूद था. उसने चाकू से वार कर दिया. इलाज के दौरान मनोज की मौत हो गई- पूजा मोगरी, सरकारी वकील

अदालत ने क्या कहा?: इस केस की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि धारा 302 के तहत दोषी पाए जाने पर न्यूनतम सजा आजीवन कारवास है. किशोर न्याय अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे दोषी को कम सजा दी जा सके. अभी दोषी की उम्र 19 वर्ष 11 माह है. किशोर न्याय अधिनियम की धारा 19 (3) के तहत 21 साल की उम्र पूरी होने तक दोषी को सुरक्षित स्थान पर रखा जाएगा.21 वर्ष की उम्र के बाद उसे कारागार स्थानांतरित किया जाएगा. सजा के दौरान दोषी के सुधार की स्थिति की समय समय पर समीक्षा की जाएगी. समीक्षा करने वाले अधिकारी अगर संतुष्ट होते हैं तो राज्य शासन दोषी के दंड में संशोधन की प्रक्रिया कर सकता है.

इस केस में सुनवाई करते हुए कोर्ट अहम टिप्पणी की है. अदालत ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम के तहत अपचारी बालकों को सुधारने का प्रयास किया जाएगा, लेकिन गंभीर वारदात के लिए उन्हें उनके किए की सजा दी जाएगी. कोर्ट के इस फैसले की आज हर ओर चर्चा हो रही है.

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