पक्षियों के लिए परिंडे (ETV Bharat Jaipur) जयपुर. राजधानी में तापमान अब 40 के पार जाने लगा है. गर्मी और तपती धूप से लोगों हलक सूखने लगे हैं. हालांकि, इंसान तो पानी का प्रबंध करके तो अपनी प्यास बुझा सकते हैं. मगर उन बेजुबानों का क्या ?. बेजुबां पंछियों के लिए हर साल निगम प्रशासन करीब चालीस हजार परिंडे बांधता है. मगर शहर के दोनों निगमों के प्रशासन की असंवदेनशीलता देखिए कि इस बार इन बेजुबानों के लिए भी चुनावी आचार संहिता का बहाना बना लिया है.
गुलाबी शहर की आबोहवा में तपिश बढ़ने लगी है. हर कोई छांव की तलाश में जुटा है. दोपहर में बढ़ती सूरज की तल्खी में परिंदे भी पेड़ों के आशियानों पर सुस्ताने को मजबूर हैं, लेकिन शहरी कंक्रीट के जंगलों में उनके हलक सूखने लगे हैं. कुछ समाजसेवी और पर्यावरण प्रेमियों को छोड़ दें, तो शायद किसी को इनकी ज्यादा परवाह भी नहीं. सरकारी सिस्टम ने भी मानो इनसे मुंह मोड़ लिया है. वैसे तो हर साल जयपुर के दोनों निगम इन पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए करीब चालीस हजार परिंडे बांधते हैं, लेकिन इस बार सिस्टम पंछियों को मानो ये कह रहा हो कि 'लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगी हैं. इस बार टेंडर नहीं हो सके, तो आप कहीं और जाकर अपनी प्यास बुझाइए'.
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सामाजिक संगठन आए आगे : सिस्टम जानता है कि वे बेजुबां हैं, तो किसी से अपनी शिकायत भी नहीं करेंगे. शायद यही सोच कर जिम्मेदार एसी कमरों की ठंडक में आराम फरमा रहे हैं. निकायों में पशु प्रबंधन और उद्यान शाखा जैसे विभाग अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़कर बैठे हैं. सवाल यह भी उठता है कि आंखिर जब टेंडर होने ही थे, तो दूरदर्शिता रखते हुए चुनावी आचार संहिता से पहले परिंडों को लेकर टेंडर किए क्यों नहीं किए गए. हालांकि, जो पर्यावरण से प्रेम रखते है, उन्हें अपनी जिम्मेदारी का आभास है. यहां कई सामाजिक संगठन और जागरूक लोग में जीवों के लिए दयाभाव और संवेदना बाकी है, जो निगम के अधिकारी भुला बैठे हैं.
राजधानी में लोग अपने स्तर पर भी राहगीरों के लिए प्याऊ लगवाने तो पंछियों के लिए परिंडे बांधने का काम कर रहे हैं. हालांकि, इस सरोकार का विषय ग्रेटर निगम को प्रथम नागरिक तक ले जाया गया, तो उन्होंने कहा कि व्यापार मंडल, विकास समिति और सामाजिक संगठनों को प्रेरित किया जा रहा है. फिलहाल आचार संहिता की वजह से ये काम आमजन की सहभागिता से ही किया जाएगा. शहर में परिंडे बांधने से लेकर आवारा जानवरों के लिए भी पानी का प्रबंधन किया जाएगा. बहरहाल, परिंडों के लिए निगम आचार संहिता का हवाला दे रहा है, लेकिन जयपुरवासियों को परिंडे बांधने के लिए कोई टेंडर की जरूरत नहीं और ना ही उनके आड़े आचार संहिता आ रही है. इसलिए ईटीवी भारत अपील करता है कि इन बेजुबान पंछियों के लिए अपने निकट के पेड़ों पर परिंडे जरूर बांधे, ताकि किसी बेजुबां की प्यास से मौत न हो.
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झालावाड़ में एक परिंडा मेरा भी अभियान : पूरे राजस्थान में इन दिनों पड़ रही प्रचंड गर्मी ने अपने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं वैशाख महीने की चिलचिलाती धूप ने आमजन सहित बेजुबान जानवरों व पक्षियों को भी अपनी चपेट में ले रखा है ऐसे में मूक पक्षियों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन ने "एक परिंडा मेरा भी" अभियान की शुरुआत की है. इसको लेकर बुधवार को जिले भर में ढाणियों से लेकर शहरी क्षेत्र तक 11 हजार परिंडे बांधने का लक्ष्य रखा है जिला प्रशासन द्वारा इन परिंडो की सार संभाल के लिए जिले के सामाजिक संगठनों व संस्थाओं को जिम्मेदारी सौंपी है.
इस अभियान की शुरुआत झालावाड़ के जिला कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ ने आज शुभम सिटी में पहला परिंडा बांधकर की. इस दौरान उनके साथ जिला परिषद सीईओ शंभू दयाल सहित कई अधिकारी तथा कर्मचारी मौजूद रहे. जिला कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ कहा कि इन दिनों प्रदेश में भीष्ण गर्मी का दौर जारी है ऐसे प्रदेश के मुख्य सचिव सुधांशु पंत से मिले निर्देश के बाद बेजुबान पक्षियों के लिए जिले में एक परिंडा मेरा भी अभियान के बुधवार को बड़ी संख्या में परिंडे बांधने जा रहे हैं.