लखनऊ : रोडवेज चालकों की सुविधा के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने टेस्टिंग को चार जोन में बांट दिया है. अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संविदा चालकों को पहला टेस्ट क्षेत्रीय स्तर पर देना होगा और दूसरा टेस्ट दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग एंड रिसर्च सेंटर में देना होगा. यहां से पास होने के बाद ही उन्हें रोडवेज बस की स्टीयरिंग थामने का ग्रीन सिग्नल मिलेगा.
मौजूदा समय कानपुर स्थित रोडवेज की कार्यशाला में हर रोज सिर्फ 70 से 80 टेस्ट ही हो पा रहे हैं. कानपुर कार्यशाला पर टेस्टिंग का भार कम पड़े इसे ध्यान में रखकर रायबरेली के आईडीटीआर में मध्य यूपी के चालक अपना टेस्ट देंगे. पूर्वी उत्तर प्रदेश के चालक बनारस में टेस्ट देंगे. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों के चालक लोनी में तो कई जिलों के अन्य संविदा चालक दिल्ली के रिसर्च सेंटर में टेस्ट देंगे. परिवहन निगम के प्रवक्ता अजीत सिंह का कहना है कि चालकों के अभाव में प्रदेश भर में तमाम बसें खड़ी हो रही हैं जबकि कानपुर कार्यशाला में अगस्त माह तक टेस्टिंग की वेटिंग चल रही है.
यूपीएसआरटीसी के जनसंपर्क अधिकारी अजीत सिंह का कहना है कि ड्राइविंग टेस्टिंग सेंटर लोनी में बनाया गया है. वह वेस्टर्न यूपी को कवर करेगा. रायबरेली में इंस्टीट्यूट आफ ड्राइविंग ट्रेंनिंग एंड रिसर्च (आइडीटीआर) सेंटर शुरू हो गया है वह सेंट्रल यूपी को कवर करेगा. बनारस में भी 10 दिन बाद टेस्टिंग सेंटर शुरू होने जा रहा है तो इससे कानपुर पर लोड कम हो जाएगा. उन्होंने बताया कि कानपुर में एक दिन में लिमिटेड टेस्ट ही हो पाते हैं. प्रतिदिन करीब 100 टेस्ट होते हैं. अभी हमारे पास वेटिंग 200 ड्राइवर की हो गई है. उनके जुलाई में टेस्ट नहीं हो सकते. अगस्त में उन्हें समय दिया जा रहा है. एक तरफ हमारे यहां चालकों का अभाव है, गाड़ियां संचालित नहीं हो पा रही है वहीं दूसरी दूसरी तरफ हमें इतने दिन वेट करना पड़ेगा. इसी को ध्यान में रखकर जो प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में ड्राइविंग टेस्टिंग सेंटर बने हैं उनसे बड़ी सहूलियत हो जाएगी.