धौलपुर.सरकार और शासन बेहतर पेयजल व्यवस्था उपलब्ध कराने के कितने भी दावे करें, लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और दिखाई देती है. भीषण गर्मी के बीच धौलपुर जिले के सरमथुरा उपखंड क्षेत्र में पेयजल किल्लत से दयनीय हालात देखे जा रहे हैं. डांग क्षेत्र के ग्रामीण तालाब, पोखर और कुओं से गंदा और दुर्गंध युक्त पानी को पीने को मजबूर है.
भीषण और प्रचंड गर्मी में सरमथुरा उपखंड के डांग क्षेत्र के लोग एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. डांग क्षेत्र की पेयजल समस्या आजादी से लेकर अब तक देखी जा रही है. ग्रामीणों ने बताया गर्मी के इस सीजन में हालत सबसे अधिक जटिल बन गए हैं. गांव के अंदर हेडपंपों का पानी लगभग सूख चुका है. डांग के खदान क्षेत्र में भरे हुए बरसाती पानी से लोग मजबूरी और लाचारी में जीवन यापन करने के लिए मजबूर हैं. गंदा और दुर्गंध युक्त पानी बीमारी का भी सबब बन रहा है. तालाब और पोखरों पर कई किलोमीटर का सफर तय कर महिला, बच्चे और पुरुष सिर पर बर्तन रखकर जाते हैं. सुबह 4 बजे से ग्रामीणों की दिनचर्या पानी के लिए शुरू हो जाती है. तालाब और पोखरों से गंदे पानी को लाकर दैनिक क्रिया करते हैं.
कपड़ों में छान कर पी रहे पानी :ग्रामीणों ने बताया तालाब और पोखरों में गंदा पानी भरा हुआ है. महिला और बच्चे सुबह और शाम पानी भरने जाते हैं. गंदे पानी को घर लाकर कपड़े में छाना जाता है. पानी को गर्म कर पीने के लिए उपयोग किया जाता है. डांग क्षेत्र के लोगों का यही जीवन बन गया है. सुबह से शाम तक पानी के लिए ग्रामीणों को जद्दोजहद करनी पड़ती है. ग्रामीणों ने बताया पानी का अभाव होने की वजह से अधिकांश मवेशी पालक पलायन कर रहे हैं. डांग क्षेत्र में ग्रामीणों के पास आजीविका का साधन सिर्फ मवेशी है. भैंस और गाय पालन के माध्यम से दूध बेचकर आजीविका चलाते हैं. मवेशी के लिए हरा चारा और पानी नहीं होने की वजह से ग्रामीणों को मध्य प्रदेश के नजदीकी जिला सबलगढ़ और उत्तर प्रदेश में पलायन करना पड़ता है. ग्रामीणों ने बताया कि होली का त्योहार संपन्न होने के बाद से ही पानी की किल्लत शुरू हो जाती है. डांग क्षेत्र के मवेशी पालक अधिकांश पानी की वजह से मवेशी को पालने के लिए पलायन करते हैं.