नई दिल्ली:दिवाली बोनस का हर किसी को इंतजार रहता है, बड़ी-बड़ी कंपनियों और MNC में काम कर रहे लोगों को उनके वेतन के मुताबिक बोनस मिलता है. वहीं घरों में काम कर रही सैकड़ों घरेलू कामगार महिलाओं के लिए आज भी ऐसी कोई सुविधा नहीं है. ETV भारत ने दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में काम करने वाली कुछ घरेलू कामगार महिलाओं से जाना कि हर साल उनकी दिवाली कैसी होती है. क्या बोनस के तौर पर उन्हें भी कुछ मिलता है.
15 वर्षों से घरेलू कामगार के तौर पर काम करने वाली रेखा ने बताया कि दिवाली के करीब आते ही हर किसी की तरह हमें भी इंतजार होता है कि अच्छा बोनस मिलेगा. लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ. बोनस के नाम पर लोग अपने घरों में पड़ा पुराना सामान देते हैं. जब पुराना सामान उनके काम का नहीं है तो हमें क्या काम आएगा. हम चाहते हैं कि जिन घरों में हम 4-5 वर्षों से काम कर रहे हैं, वहां बोनस के तौर पर आधी सैलरी मिलनी चाहिए या कोई नई चीज. हम भी इंसान हैं. इंसानियत के नाते कम से कम इतना तो मिलना चाहिए.
'15 साल से काम कर रहे हैं, लेकिन कभी बोनस जैसा कुछ नहीं मिला'
रमावती ने बताया कि 15 वर्षों से लोगों के घरों में साफ सफाई काम करती हूं. लेकिन आज तक किसी ने मन चाहा या संतोषजनक बोनस या उपहार नहीं दिया. 'अगर मैं 5 साल की बात बताऊं तो किसी ने एक साड़ी और 50 रुपये, एक मिठाई का डिब्बा और 100 रुपये या एक साड़ी और एक मिठाई बस अभी तक इस तरह के बोनस मिलते हैं'.रमावती का मनाना हैं कि साल में एक बार ही दिवाली का त्योहार आता है. ऐसे में दिवाली बोनस के तौर पर एक महीने की सैलरी के बराबर बोनस दिया जाना चाहिए. अगर ये भी मुश्किल है तो आधी सैलरी के बराबर बोनस देना ही चाहिए.
बोनस के लिए चला रहे कैंपेन
बता दें कि राजधानी में घरेलू कामगार महिलाओं के हक की आवाज उठाने वाला घरेलू कामकाजी यूनियन दिवाली से पहले बोनस कैंपेन चला रहा है. 20 दिन तक चलने वाले इस कैंपेन में सभी 1400 घरेलू कामगार महिलाओं को बोनस के प्रति जागरूक किया जा रहा है. यूनियन की सदस्य रेखा ने बताया कि यूनियन बीते 8 वर्षों से दिल्ली के 15 एरिया में घरेलू कामगार महिलाओं की समस्याओं को लेकर काम कर रही हैं. वर्तमान में 1400 घरेलू कामगार यूनियन के साथ जुड़ी हुई हैं. वहीं 3 वर्षों से दिवाली से पहले बोनस कैंपेन हो रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य घरेलू कामगार महिलाओं को अच्छा बोनस दिलाना है. मतलब बोनस के नाम पर एक मिठाई का डिब्बा, साड़ी या 100- 50 रुपए से नहीं है.